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प्रयागराज हिंसा (Prayagraj violence) के मास्टरमाइंड होने के आरोपी जावेद मोहम्मद (Javed Mohammad) के घर पर बुलडोजर (Bulldozer) चलाने के मामले में यूपी सरकार ने इलाहबाद हाई कोर्ट के सामने अपना जवाबी हलफनामा दायर कर दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने SDM युवराज सिंह द्वारा दायर अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि जावेद मोहम्मद के घर को कानून के अनुसार तोड़ा गया था और प्रशासन के इस एक्शन का 10 जून को हुई प्रयागराज हिंसा से कोई संबंध नहीं है.
बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान के बाद 10 जून को प्रयागराज में हिंसा हुई थी. पुलिस ने जावेद मोहम्मद पर इस हिंसा के मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के दो दिन बाद करैली क्षेत्र में स्थित उनके घर पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) ने बुलडोजर चला दिया. आरोप लगाया गया कि 2 मंजिला यह घर बिना नक्शा पास करवाए बनाया गया था.
इसके बाद जावेद मोहम्मद की पत्नी परवीन फातिमा ने एक रिट याचिका दायर कर इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया, जिसमें दावा किया गया है कि उनके घर को प्रशासन ने अवैध रूप से तोड़ा है.
इस याचिका में कोर्ट से गुजारिश की गयी है कि वह PDA को अवैध रूप से गिराए गए घर के पुनर्निर्माण के लिए एक निर्देश जारी करे तथा प्रशासन को यह आदेश दे कि घर के पुनर्निर्माण तक उनके परिवार के लिए सरकारी आवास की व्यवस्था की जाए.
परवीन फातिमा ने अपनी रिट याचिका में दावा किया है कि घर की ऑनर/मालकिन वही हैं और इसकी जमीन उनके पिता ने एक लैंड डेवलपर से खरीदकर उन्हें गिफ्ट की थी, जिसकी रजिस्ट्री 13 जून 1996 को हुई थी.
इसके जवाब में दायर यूपी सरकार के जवाबी हलफनामे में दावा किया गया कि घर का इस्तेमाल पार्टी ऑफिस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था न कि आवासीय उद्देश्य से.
इसके अलावा अपने मालिकाना हक को साबित करने के लिए परवीन फातिमा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनके नाम पर बिजली बिल, हाउस टैक्स और वाटर टैक्स जमा किया गया है. उन्होंने इसकी रसीद/रिसिप्ट भी पेश की थी.
इस दावे का जवाब देते हुए यूपी सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि “... केवल हाउस टैक्स, वाटर टैक्स और बिजली बिल का भुगतान करके यह नहीं कहा जा सकता है कि मकान का स्वामित्व उनके पास है जिसने ऊपर बताये टैक्स और बिलों का भुगतान किया है. वास्तव में, नगर निगम के रजिस्टर में प्रयागराज, याचिकाकर्ता नंबर 1 (परवीन फातिमा) का नाम कब्जाधारी/ऑक्युपायर के कॉलम में है, न कि बिल्डिंग के मालिक के रूप में.
जवाबी हलफनामे में कथित तौर पर करैली इलाके में स्थानीय लोगों द्वारा की गई शिकायत को भी शामिल किया गया जहां परवीन का घर था.
प्रयागराज के नोडल अफसर को भेजी गई शिकायत में शिकायतकर्ता के रूप में "इलाके के सभी सम्मानित प्रेसिडेंट" हैं और इसपर तीन लोगों ने अपने हस्ताक्षर किए गए हैं- सरफराज, नूर आलम और मोहम्मद आजम.
परवीन फातिमा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 11 जून 2022 से पहले न तो उन्हें और न ही परिवार के किसी अन्य सदस्य को कोई नोटिस दिया गया था. कथित तौर पर 10 मई 2022 और 25 मई 2022 को जारी लेटर का कोई अस्तित्व नहीं है और ये डॉक्यूमेंट्स बने-बनाए/जाली हैं.
यूपी सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में दावा किया कि जावेद मोहम्मद के परिवार ने मई के महीने में जारी किए गए नोटिस और डेमोलिशन के आदेशों को लेने से इनकार कर दिया.
यूपी सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) के नोडल ऑफिसर अजय कुमार द्वारा जावेद मोहम्मद को 10 मई 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस और 25 मई को उसी अधिकारी द्वारा जारी विध्वंस डेमोलिश आर्डर को भी शामिल किया है.
परवीन फातिमा की ओर से पेश वकील केके राय ने सरकार के जवाबी हलफनामे को झूठ का पिटारा बताया है. केके राय ने प्रयागराज में स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि "हम 44-45 पेज के जवाब को झूठ का पुलिंदा कह सकते हैं. उन्होंने बेशर्मी से दावा किया है कि इलाके के निवासियों की शिकायत के आधार पर, जांच में पाया गया कि घर अवैध था. पत्र में शिकायतकर्ता के रूप में तीन नाम हैं लेकिन उसमें एड्रेस या मोबाइल नंबर नहीं है."
परवीन फातिमा के वकील राय ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के फैसले का हवाला देते हुए दावा किया कि अपील अवधि की समाप्ति के बाद ही बुलडोजर चलाया जा सकता है, जो डेमोलिश आर्डर जारी होने की तारीख से एक महीने है. इस मामले में इसका पालन नहीं किया गया.
केके राय ने यह भी आरोप लगाया कि PDA ने नोटिस और डेमोलिश आर्डर को गढ़ा/फेब्रिकेट किया है और वह जवाबी हलफनामे के जवाब में उसी के लिए सबूत पेश करेंगे.
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