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जावेद के घर डेमोलिशन:क्या सरकार ने खुद तोड़ा कानून-इन 4 सवालों के जवाब कौन देगा?

कानून के अनुसार मकान गिराने के आदेश से पहले मालिक को पक्ष रखने का उचित अवसर देना होगा- Prayagraj में ऐसा हुआ?

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में प्रशासन ने स्टूडेंट एक्टिविस्ट आफरीन फातिमा (Afreen Fatima) और वेलफेयर पार्टी के नेता जावेद मोहम्मद (Javed Mohammad) के घर पर बुलडोजर चला दिया. हालांकि प्रयागराज प्रशासन की इस कार्रवाई में काफी विसंगतियां हैं.

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हम आपके सामने उन्हीं विसंगतियों को एक-एक कर रखते हैं.

विसंगति नंबर 1: आखिर कानून क्या कहता है?

प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट,1973 के तहत मकान पर बुलडोजर चलाया है. लेकिन कानून की धारा 27 में बिल्डिंग के डेमोलिशन पर आदेश जारी करने का प्रावधान है.

इसके अनुसार विध्वंस के कारणों की संक्षिप्त जानकारी वाले आदेश की एक कॉपी संपत्ति के मालिक को देने के कम से कम पंद्रह दिनों के बाद निर्माण तोड़ा जा सकता है.

यानी कम से कम पंद्रह दिन की मियाद. क्या आप जानते हैं जावेद मोहम्मद के परिवार वालों के अनुसार उन्हें प्रशासन ने कितने दिन पहले नोटिस दिया? सिर्फ आधा दिन!

जावेद मोहमाद की बेटी सुमैया फातिमा ने कहा कि "हमें जो पहला नोटिस मिला वह शनिवार रात 10 बजे के बाद हमारे घर पर चिपकाया गया था". यानी 11 जून की देर रात और प्रशासन ने अगले ही दिन 12 जून को घर पर बुलडोजर चला दिया.

महत्वपूर्ण बात है कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण के आदेश में कहा गया है कि जावेद मोहम्मद को 10 मई 2022 को ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. लेकिन कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि आदेश की एक कॉपी मालिक को देनी होगी और उसके बाद ही 15 दिन की यह मियाद शुरू होगी.
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जावेद मोहम्मद के घर डेमोलिशन के खिलाफ कोर्ट गए अधिवक्ता मंच के वकील केके राय का दावा है कि प्रयागराज प्रशासन ने नोटिस पर बैकडेट डालकर यह आसानी से कह दिया कि इसे 10 मई 2022 को जारी किया गया था लेकिन उन्हें ऐसा कोई नोटिस कभी नहीं मिला था.

क्या प्रयागराज विकास प्राधिकरण कोई सबूत दे सकता है कि नोटिस वास्तव में 10 मई 2022 के आसपास दिया गया था और उसने 15 दिन की अवधि का पालन किया है?

विसंगति नंबर 2: कारण बताने का मौका कहां दिया है?

यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट कहता है कि ऐसा कोई आदेश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि मालिक या संबंधित व्यक्ति को यह कारण बताने का उचित अवसर न दिया गया हो कि आदेश क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए.

लेकिन जावेद की बेटी सुमैया फातिमा ने क्विंट को बताया कि “शनिवार की रात से पहले तक हमें किसी भी अथॉरिटी से कोई नोटिस नहीं मिला. अगर हमारा घर इतने सालों से अवैध था, तो हमें इसके बारे में आजतक क्यों नहीं बताया गया?

कानून कहता है कि मकान गिराने का आदेश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि मालिक को अपना पक्ष रखने का "उचित अवसर" नहीं दिया जाता. यानी आदेश जारी करने से पहले कारण बताने का अवसर दिया जाना चाहिए. और फिर आदेश जारी किए जाने के बाद भी कम से कम 15 दिन का समय देना होता है.

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लेकिन परिवार का कहना है कि उन्हें सबसे पहले इस आदेश के बारे में तब पता चला जब इसे शनिवार की रात उनके घर पर चिपकाया गया था. फिर परिवार को कारण बताने का अवसर कहां मिला?

इतना ही नहीं जावेद मोहम्मद को यूपी पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया था. उनकी पत्नी परवीन और बेटी सुमैया को भी पुलिस ने शुक्रवार की रात से ही हिरासत में ले रखा था और उन्हें रविवार की सुबह ही छोड़ा गया. ऐसे में आदेश चिपकाए जाने के बाद भी, उनके घर पर बुलडोजर चलने से पहले उनके पास वास्तव में अपना पक्ष रखने के लिए कितना समय था?

कारण बताने का अवसर दिए बिना किसी भी तरह की कार्रवाई नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का उल्लंघन है. प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत कहता है कि किसी को सजा देने से पहले उसे अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए.
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विसंगति नंबर 3: आखिर किसके घर पर बुलडोजर चला?

प्रयागराज विकास प्राधिकरण के आदेश के अनुसार नोटिस मोहम्मद अजहर के बेटे जावेद मोहम्मद को दिया गया है. लेकिन परिवार का कहना है कि मकान दरअसल जावेद मोहम्मद की पत्नी परवीन फातिमा का है. परिवार का कहना है कि उनके पास इसे साबित करने के लिए डॉक्यूमेंट मौजूद हैं.

उदाहरण के तौर पर प्रयागराज नगरपालिका प्राधिकरण का यह डॉक्यूमेंट स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि घर परवीन फातिमा के नाम पर रजिस्टर्ड है. नगरपालिका के रिकॉर्ड में भी ऐसा ही है. तो फिर प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने अपने आदेश में जावेद मोहम्मद का नाम क्यों लिया?

और अगर प्रशासन ने अपने आदेश और आधिकारिक संचार में ही गलती की है, तो क्या इससे यह पूरी कार्रवाई ही गैरकानूनी साबित नहीं होती जो नियमों के उल्लंघन के साथ की गयी है?

सुमैया फातिमा ने क्विंट को बताया कि “यह घर मेरे मां के नाम पर है जिसे उन्हें उनके पूर्वजों ने गिफ्ट में दिया था. इससे यह घर अपने आप पिता जी का नहीं हो जाता. हमारे सारे बिल हमारी मां के नाम पर हैं.”

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विसंगति नंबर 4: बुलडोजर एक्शन की टाइमिंग महज संयोग है?

यूपी पुलिस जावेद मोहम्मद को प्रयागराज में 10 जून को हुई हिंसा का "मास्टरमाइंड" बताती है और अगले ही दिन उनके घर पर बुलडोजर चल जाता है. यूपी पुलिस ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि घर पर बुलडोजर चलने का जावेद के खिलाफ शुरू हिंसा के केस से कोई लेना-देना नहीं है.

ऐसे में बुलडोजर एक्शन की टाइमिंग अपने आप में सवाल खड़ा करती है. अगर खरगोन, जहांगीरपुरी और पूरे यूपी में कई मौकों पर ऐसे ही “संयोग” नहीं होते तो हम कनेक्शन के बारे में यह सवाल नहीं उठा रहे होते. है न?

जावेद मोहम्मद के वकील केके राय का आरोप है कि जब यूपी पुलिस ने जावेद को प्रयागराज हिंसा मामले में "मास्टरमाइंड" बताया, उसके बाद ही डिमोलिशन की कार्यवाही शुरू करने वाला नोटिस बैकडेट में 10 मई को जारी किया गया.

ये बिना जवाब वाले ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब यूपी प्रशासन को देना है. क्विंट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण से संपर्क कर इनपर जवाब मांगा है. अभी तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

12 जून को अधिवक्ता मंच के कुछ वकीलों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि बुलडोजर चलाने की कार्रवाई अवैध थी और कोर्ट इसकी जांच करे. यदि हाई कोर्ट इस याचिका को स्वीकार कर लेता है, तो इन सवालों का जवाब अदालत में भी मांगा जाएगा.

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