advertisement
झारखंड (Jharkhand) के देवघर (Deoghar) जिले की त्रिकुट पहाड़ियों पर रविवार, 10 अप्रैल को एक रोपवे पर केबल कार्स के आपस में टकरा जाने से तीन लोगों की मौत हो गई. वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और आर्मी के लगातार 45 घंटे के जोखिम भरे ऑपरेशन के बाद हवा में लटकी 46 जिंदगियों को 'नई जिंदगी' मिल गयी है. देवघर के त्रिकुट पर्वत पर रोपवे हादसे के बाद चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 55 मिनट पर एक बुजुर्ग को सुरक्षित तरीके से एयरलिफ्ट किये जाने के साथ ही पूरा हो गया.
इस ऑपरेशन में देवघर के एक दर्जन से ज्यादा युवाओं का भी बेहद अहम रोल रहा. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान नीचे गिर जाने से दो लोगों की मौत हो गयी, सोमवार को राकेश मंडल नाम के एक युवक को जब हेलिकॉप्टर के ऊपर खींचा जा रहा था, तब सेफ्टी बेल्ट टूट जाने के कारण वह डेढ़ हजार फीट नीचे गिर गया. मौके पर ही उसकी मौत हो गयी.
देवघर के जिला कलेक्टर ने मंगलवार को कहा कि, त्रिकूट पर्वत पर रोपवे यात्रा के दौरान फंसे लोगों के लिए वायु सेना, भारतीय सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन की टीम द्वारा बचाव अभियान शुरू किया गया था, ताकि फंसे हुए लोगों को बचाया जा सके.
र
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के जवान फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने में लगे थे. बाबा बैद्यनाथ मंदिर के पास दुर्घटनास्थल पर बचाव कार्य में दो MI-17 हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रोपवे हादसे की हाई लेवल जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "त्रिकूट पर्वत पर हुई घटना और उसमें हुई मौतों पर मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी."
मंगलवार को कोर्ट ने राज्य सरकार से हलफनामे के जरिए डीटेल जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. कोर्ट इस मामले में 26 अप्रैल को सुनवाई करेगी. समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि यह घटना तकनीकी खराबी के कारण हुई है, जिसके परिणामस्वरूप केबल कारों की टक्कर हुई, हालांकि, सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)