advertisement
झारखंड के 2019 विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन को पूर्ण बहुमत और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिली करारी हार के बाद जहां बीजेपी रणनीतिकारों की रणनीति पर प्रश्न उठने लगे हैं, वहीं इसका प्रभाव आने वाले चुनावों पर भी पड़ने के आसार बढ़ गए हैं. गठबंधन के नेता इस जीत से जहां उत्साह में हैं, वहीं बीजेपी आगे की राणनीति बनाने में जुट गई है.
राजनीतिक समीक्षक और बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया वेल्लारी कहते हैं, एलजेपी और जेडीयू एनडीए में समन्वय समिति की मांग पूर्व में कर चुकी हैं. यह मांग भी अब जोर पकड़ेगी और आने वाले साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर भी इस परिणाम का असर दिखेगा. इतना तो तय है कि बीजेपी सीट बंटवारे के समय अब अपने सहयोगी दलों पर अब खुलकर दबाव नहीं बना सकेगी.
वैसे, देखा जाए तो झारखंड चुनाव परिणाम को लेकर एनडीए में किचकिच शुरू होने की संभावना बढ़ गई है. हालांकि किचकिच का असर सरकार पर नहीं पड़ेगा. "ऐसा नहीं है कि झारखंड चुनाव परिणाम का प्रभाव केवल एनडीए में दिखेगा. विपक्षी दलों के महागठबंधन में भी इसका साइड इफेक्ट देखने को मिलेगा."
पहली बार झारखंड में 16 सीटों पर जीत से उत्सासहित कांग्रेस अभी से ही आरेजडी को आंख दिखाने लगी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि आने वाले चुनाव में नेतृत्व को लेकर अभी कोई बात नहीं हुई है, जबकि दूसरी ओर आरेजडी तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर पहले ही घोषणा कर चुका है.
जेडीयू नेता भी बीजेपी को नसीहत देने लगे हैं. जेडीयू के नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने झारखंड में बीजेपी की हार के बाद झारखंड में बीजेपी के नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी का 'विजन' बड़ा नहीं था. एनडीए में शामिल सभी दलों के साथ अगर गठबंधन करते तो परिणाम उल्टा होता. उन्होंने कहा कि अलग-अलग लड़ने की वजह से एनडीए का वोट बंटा.
झारखंड के राजनीतिक समीक्षक मधुकर ने कहा कि अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं आना बीजेपी के लिए नुकसानदेह तो है ही, छोटे दलों की बांछें भी खिल गई हैं. अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू खुद को 'कम्फर्ट जोन' में महसूस करने लगेंगे, वहीं उनका दबाव बीजेपी पर बढ़ जाएगा. झारखंड में छोटे दलों का कुनबा भी बड़ा हो गया है. इन सबका प्रतिकूल असर अब बीजेपी की छवि पर भी पड़ेगा.
झारखंड में विधानसभा की 81 सीटों में से कांग्रेस, आरेजडी, जेएमएम गठबंधन को बहुमत से अधिक सीटें मिली हैं, जबकि 'अबकी बार 65 पार' का नारा देने वाली बीजेपी 'डबल इंजन' के बावजूद 26 तक ही सिमटकर रह गई.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)