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तबरेज की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जो खुलासे हुए हैं और वो बहुत चौंकाने वाले हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सवाल उठता है कि तबरेज के हत्यारे कौन थे? क्या सिर्फ वो लोग जिन्होंने उसे बांधकर कई घंटों तक पीटा था, या वो पुलिस जिसने उसका इलाज कराने के बजाय जेल भेज दिया और या फिर वो डॉक्टर जिसने ये नहीं बताया कि अगर इस हालत में उसे हिरासत में लिया गया तो उसकी मौत हो सकती है. और हुआ भी वही. तबरेज की आखिर ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, तबरेज अंसारी की मौत ब्रेन हैमरेज के कारण हुई उनके गले की हड्डी टूटी हुई थी. झारखंड के सरायकेला-खरसांवा में तबरेज अंसारी को पिछले महीने बाइक चोरी में हाथ होने की आशंका की वजह से लोगों ने पीटा और जबरन 'जय श्री राम' का नारा लगाने को कहा था. मारपीट की घटना के करीब एक हफ्ते बाद अंसारी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. अब ये कहा जा रहा है कि जिस डॉक्टर ने पिटाई के बाद तबरेज का इलाज किया था, उसने ठीक से जांच भी नहीं की.
घटना के बाद पुलिस का दावा था कि मेडिकल जांच के बाद ही उसे जेल भेजा गया था लेकिन तबरेज के घरवालों का आरोप था कि 17 जून को मॉब लिन्चिंग की सूचना मिलने के बाद भी पुलिस एक दिन बाद मौके पर पहुंची, तब तक भीड़ उसे पीटती रही. तबरेज के घरवालों का ये भी आरोप है कि पुलिस ने डॉक्टरों पर दबाव डालकर उसे फिट घोषित कराया और जेल भेजा.
पुलिस के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, "जांच के दौरान ये पाया गया है कि तबरेज अंसारी को बचाने के लिए दो थानों के प्रभारी अधिकारी ने समय पर रिएक्शन ही नहीं दिया." सूत्र के मुताबिक, "स्थानीय ग्राम प्रधान ने पुलिस को घटना के बारे में देर रात 2 बजे जानकारी दी, लेकिन वो 6 बजे घटनास्थल पर पहुंचे."
सूत्र ने बताया, "जिन डॉक्टरों ने तबरेज का इलाज किया, उन्होंने ठीक से नहीं जांचा. एक्स-रे रिपोर्ट में उनकी सिर की हड्डी टूटी हुई पाई गई लेकिन ब्रेन हैमरेज के लिए उनका इलाज नहीं किया गया. उन्हें जेल भेज दिया गया."
मतलब कि अगर सही समय पर जांच हुई होती तो तबरेज अंसारी की मौत नहीं होती. अंसारी की हत्या को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है.
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