advertisement
दो दिवसीय झारखंड (Jharkhand) जनजातीय महोत्सव (Jharkhand Tribal Festival) 9 अगस्त से शुरू होगा और रांची (Ranchi) के मोरहाबादी मैदान में इसका आयोजन होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले सप्ताह महोत्सव के लोगो लांच किया था.
झारखंड सरकार के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा मोरहाबादी मैदान में दो दिवसीय कार्यक्रम की तैयारी चल रही है. आदिम जाति कल्याण आयुक्त मुकेश कुमार और उपायुक्त रांची राहुल कुमार सिन्हा ने 9 अगस्त और 10 अगस्त को होने वाले इस कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा कर ली है .
इस महोत्सव में न केवल कला और संस्कृति बल्कि आदिवासी मुद्दों से संबंधित गंभीर विषयों पर सेमिनारों की एक सीरीज भी होगी. विभिन्न राज्यों के आदिवासी कलाकार लोक नृत्य का प्रदर्शन करेंगे, जबकि भारत और विदेशों के गणमान्य व्यक्ति पहले उत्सव के दौरान आदिवासी दर्शन, साहित्य, इतिहास और नृविज्ञान पर चर्चा करेंगे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची में त्योहार के लोगों का अनावरण करते हुए कहा था कि,
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि, "अभी भी आदिवासी समुदाय के ऐसे इतिहास के कई पन्ने खंगालने बाकी हैं जहां हम इस समुदाय को बेहतर तरीके से जानेंगे और पहचानेंगे. राज्य सरकार ने आदिवासी समुदाय की सभ्यता और संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का निर्णय लिया है."
महोत्सव का उद्घाटन झामुमो सुप्रीमो और राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन द्वारा मोराबादी मैदान में किया जाएगा. 08 अगस्त को रांची, जबकि समापन समारोह में बुधवार 09 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल होंगे.
सांस्कृतिक कार्यक्रम जहां मोराबादी मैदान में होगा, वहीं सम्मलेन नजदीक के आदिवासी अनुसंधान संस्थान के नाम से मशहूर डॉ राम दयाल मुंडा आदिवासी कल्याण अनुसंधान संस्थान में होगी.
इस सम्मलेन के दौरान, वर्जिनियस ज़ाक्सा जो की वर्तमान में मानव विकास संस्थान (आईएचडी), नई दिल्ली में प्रोफेसर हैं वह "झारखंड के संदर्भ में आदिवासी पहचान के साथ जुड़ाव" पर भी बोलेंगे, जबकि जोसेफ बारा "मध्य भारत में आदिवासियों के पूर्व-औपनिवेशिक इतिहास" पर चर्चा करेंगे.
असम के पिंटू बरुआ और उनकी मंडली बिहू नृत्य करेंगे, जबकि ओडिशा के दारुआ लोक नृत्य ओडिशा के पल्लवी दारुआ और ईश्वर दारुआ द्वारा प्रस्तुत किए जाएंगे. छत्तीसगढ़ की टीमें कर्म लोक नृत्य और आंध्र प्रदेश की टीमें कुमुकोया का प्रदर्शन करेंगी.
मध्य प्रदेश की टीमें भील नृत्य करेंगी जबकि मिजोरम के कलाकार पारंपरिक मिजो नृत्य प्रस्तुत करेंगे. मोराबादी फुटबॉल स्टेडियम में आदिवासी टीमों के बीच फुटबॉल मैच भी होंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)