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JNU की नई VC बनीं शांतिश्री धूलिपुडी, विवादित ट्वीट शेयर कर लोग उठा रहे सवाल

ट्विटर पर CPIML नेता कविता कृष्णन ने लिखा कि JNU की नई VC सक्रिय रूप से जेएनयू से नफरत करती हैं.

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<div class="paragraphs"><p>प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित</p></div>
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प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित

फोटो- ट्विटर

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सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट की प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित को जेएनयू (JNU) की नई कुलपति यानी वाइस चांसलर नियुक्त किया गया है.

प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित, एम जगदीश कुमार की जगह लेंगी, जिन्हें हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

इस नई नियुक्ति के बाद सोशल मीडिया पर प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित के कुछ ऐसे पुराने ट्वीट्स के फोटो को शेयर किया जा रहा जो विवादित हैं.

ट्विटर पर सीपीआई (एमएल) की नेता कविता कृष्णन ने लिखा कि "मोदी शासन की नई जेएनयू वीसी ने ऐसे कई ट्विट्स किए हैं जो भारत के किसानों के खिलाफ, हिंदू-वर्चस्ववादी से भरे ट्वीट्स हैं. साथ ही वह सक्रिय रूप से जेएनयू से नफरत करती हैं.

कविता कृष्णन ट्वीट के अनुसार प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित पहले ट्वीट कर चुकी हैं कि "जेएनयू से हारने वालों ने नियंत्रण खो दिया है. इन चरमपंथी नक्सल समूहों को परिसरों से प्रतिबंधित करें. जामिया और सेंट स्टीफंस जैसे सांप्रदायिक परिसरों को वित्त पोषण करना बंद करें."

वहीं किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे योगेंद्र यादव ने भी उनके पुराने और विवादित ट्वीट शेयर किए, जिसमें उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों को पैरासाइट्स, दलाल बताया.

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"JNU की नई कुलपति गोडसे भक्त हैं"

फैक्ट चेकिंग वैबसाइट ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर ने लिखा, "जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की नई कुलपति भी गोडसे भक्त हैं. वो लिखती हैं गोडसे ने सोचा कि कार्रवाई महत्वपूर्ण थी और महात्मा गांधी की हत्या में अखंड भारत के समाधान की पहचान की."

प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित का जन्म 1962 में रूस के सेंट पीट्सबर्ग में हुआ था और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा चेन्नई से की. उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से इतिहास और सामाजिक मनोविज्ञान में बीए किया, जिसके बाद उन्होंने जेएनयू से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एमफिल किया.

इसके बाद उन्होंने उसी विश्वविद्यालय में अपनी पीएचडी पूरी की जहां उनकी थीसिस 'भारत में संसद और विदेश नीति - नेहरू वर्ष' थी. उन्होंने 1985 में शोध करना शुरू किया और 1988 में पढ़ाना शुरू किया.

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Published: 07 Feb 2022,11:04 PM IST

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