Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जजों की नियुक्‍त‍ि पर जंग, फिर आमने-सामने सरकार और ज्यूडिशरी

जजों की नियुक्‍त‍ि पर जंग, फिर आमने-सामने सरकार और ज्यूडिशरी

जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रही खींचतान सुप्रीम कोर्ट में खुलकर सामने आ गई

भाषा
भारत
Updated:
जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रही खींचतान सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त खुलकर सामने आ गई
i
जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रही खींचतान सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त खुलकर सामने आ गई
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रही खींचतान सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त खुलकर सामने आ गई जब केंद्र ने हाईकोर्ट में खाली जगहों पर नियुक्तियों के लिए थोड़े नामों की सिफारिश करने पर कॉलेजियम पर सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके जवाब में कोलेजियम द्वारा की गई सिफारिशें लंबित रखने के लिए केंद्र को आड़े हाथ लिया.

जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा, ‘‘ हमें बतायें , कितने नाम ( कोलेजियम की सिफारिशें ) आपके पास लंबित हैं.' '

अटार्नी जनरल ने जब ये कहा , ‘‘ मुझे इसकी जानकारी हासिल करनी होगी '' तो पीठ ने व्यंग्य करते हुये कहा , ‘‘ जब ये सरकार पर आता है तो आप कहते हैं कि हम मालूम करेंगे.'' पीठ ने ये तल्ख टिप्पणी उस वक्त की जब वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायालय मणिपुर , मेघालय और त्रिपुरा हाईकोर्ट में जजों के खाली जगह के मामले की सुनवाई कर रही है. लेकिन तथ्य तो ये है कि जिन हाईकोर्ट में जजों के 40 पद खाली हैं, वहां भी कोलेजियम सिर्फ तीन नामों की ही सिफारिश कर रही है,

कोलेजियम को व्यापक तस्वीर दिखानी होगी: अटॉर्नी जनरल

अटार्नी जनरल ने कहा , ‘‘ कोलेजियम को व्यापक तस्वीर देखनी होगा और ज्यादा नामों की सिफारिश करनी होगी. कुछ हाईकोर्ट में 40 रिक्तियां हैं और कोलेजियम ने सिर्फ तीन नामों की ही सिफारिश की है. और सरकार के बारे में कहा जा रहा है कि हम रिक्तयों को भरने में सुस्त हैं. '' वेणुगोपाल ने कहा , ‘‘ अगर कोलेजियम की सिफारिश ही नहीं होगी तो कुछ भी नहीं किया जा सकता है. '' पीठ ने इस पर अटार्नी जनरल को याद दिलाया कि सरकार को नियुक्तियां करनी हैं. कोलेजियम ने 19 अप्रैल को जस्टिस एम याकूब मीर और जस्टिस रामलिंगम सुधाकर को मेघालय हाईकोर्ट और मणिपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस नियुक्त करने की सिफारिश की थी जिन्हें अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.

जल्दी का क्या मतलब है बताएं: कोर्ट

इस मामले की सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि जस्टिस सुधाकर और जस्टिस याकूब मीर के नामों पर विचार किया जायेगा और इनके आदेश जल्द ही जारी हो जायेंगे. पीठ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुये कहा , ‘‘ जल्दी का मतलब क्या ? जल्दी तो तीन महीने हो सकते हैं. '' सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को एक शख्सृ की याचिका मणिपुर हाईकोर्ट से गुजरात हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान इस तथ्य का संज्ञान लिया था कि न्यायाधीशों के पद रिक्त होने की वजह से मणिपुर , मेघालय और त्रिपुरा हाईकोर्ट में स्थिति ‘ गंभीर ' है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या हो सकती है इस गतिरोध की वजह?

न्यायालय ने इस तथ्य को भी नोट किया था कि मणिपुर हाईकोर्ट के लिये 7 जजों के पद हैं लेकिन वहां सिर्फ दो ही जज हैं. इसी प्रकार मेघालय हाईकोर्ट में चार न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं लेकिन वहां इस समय एक और त्रिपुरा में चार पदों की तुलना में दो ही जज हैं. शीर्ष अदालत की ये टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि केन्द्र ने कोलेजियम की सिफारिश के तीन महीने से भी अधिक समय बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को पदोन्नत करके सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाने की सिफारिश लौटा दी थी. अटार्नी जनरल ने बहस के दौरान मेघालय हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज जस्टिस सोंगखुपचुंग सर्तो को स्थाई जस्टिस बनाने से संबंधित कोलेजियम की 6 मार्च के प्रस्ताव का भी जिक्र किया.

जस्टिस सर्तो गोवाहाटी हाईकोर्ट में तबादले पर काम कर रहे थे. इस प्रस्ताव में कोलेजियम ने जस्टिस सर्तो को मणिपुर हाईकोर्ट का स्थाई न्यायाधीश बनाने की सिफारिश करते हुये कहा था कि वो गोवाहाटी हाईकोर्ट में ही काम करते रहेंगे. वेणुगोपाल ने इस प्रस्ताव का जिक्र करते हुये कहा कि ये बहुत ही विचित्र है कि न्यायमूर्ति सर्तो को गोवाहाटी हाईकोर्ट में ही काम करने देना चाहिए. इस पर पीठ ने टिप्पणी की , ‘‘ हो सकता है कि कोलेजियम उन्हें वापस मणिपुर लाना नहीं चाहती हो. हमें नहीं पाता. '' न्यायालय ने तब अटार्नी जनरल से कहा कि यह सिर्फ मणिपुर हाईकोर्ट में समस्या नहीं है. मेघालय और त्रिपुरा हाईकोर्ट में भी ऐसे ही हालात हैं.

वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने मणिपुर हाईकोर्ट के बारे में पता किया था और एक बार जस्टिस सुधाकर वहां जायेंगे तो न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर तीन हो जायेगी और समस्या हल हो जायेगी. पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा कि मेघालय , मणिपुर और त्रिपुरा हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पदों के बारे में 10 दिन के भीतर हलफनामा दाखिल किया जाए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 04 May 2018,11:01 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT