Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019शेल्टर होम का नॉन-रजिस्ट्रेशन बाल शोषण का बड़ा कारण: जस्टिस लोकुर

शेल्टर होम का नॉन-रजिस्ट्रेशन बाल शोषण का बड़ा कारण: जस्टिस लोकुर

केंद्र और राज्य सरकार के शेल्टर होम का रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से बाल यौन शोषण और तस्करी के मामले बढ़ गए हैं.

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
शेल्टर होम का नॉन-रजिस्ट्रेशन बाल शोषण का बड़ा कारण: जस्टिस लोकुर
i
शेल्टर होम का नॉन-रजिस्ट्रेशन बाल शोषण का बड़ा कारण: जस्टिस लोकुर
(फोटो: ANI)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर ने शनिवार को कहा कि अदालतों के आदेशों के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार के तहत चलाए जा रहे देशभर में शेल्टर होम का रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से बाल यौन शोषण और तस्करी के मामले बढ़ गए हैं.

यूनिसेफ की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, पूर्व जस्टिस लोकुर ने कहा, "अदालतों ने केंद्र और राज्य सरकार को शेल्टर होम के रजिस्ट्रेशन के संबंध में समय और दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन यह काम अभी तक नहीं किया गया है, इसीलिए बच्चों की तस्करी और यौन शोषण के मामले आते हैं.

भारत में “अद्भुत कानून” है, लेकिन कानून का कोई खास पालन नहीं है. अगर इसका पालन सही तरीके से हो तो अच्छा हो सकता है.
डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कानून अमल की समस्या

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में कई लड़कियों से कथित यौन शोषण और शारीरिक उत्पीड़न की शिकायत करते हुए, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, पैरामिटर को न मानना, इसके अमल की सबसे बड़ी समस्या है.

बेहतर देखभाल की जरूरत

शेल्टर होम में बाल अधिकारों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के मुद्दे को उठाते हुए, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि संस्थानों में प्रदान की जाने वाली बेहतर देखभाल के लिए ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

बच्चों की बेहतरी के लिए हमारे पास कानून है. कई योजनाएं सरकार चला रही हैं, लेकिन हम यह नहीं कह सकते हैं कि सब कुछ जमीनी स्तर पर पूरी तरह से काम कर रहा है. बाल अधिकारों का व्यापक उल्लंघन हो रहा है.
दीपक गुप्ता, जस्टिस

क्या है समाधान?

इस मामले का संभावित समाधान बताते हुए जस्टिस दीपक गुप्ता ने सुझाव दिया कि, शेल्टर होम में भेजने के बजाय बच्चे को वैकल्पिक देखभाल की जानी चाहिए. "हर बच्चे को अपने तरीके से रहने का अधिकार है. उद्देश्य यह होना चाहिए कि, ऐसे संस्थान कम हो और बच्चों को वैकल्पिक देखभाल देना चाहिए.

जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि शेल्टर होम की उचित निगरानी की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "ऐसे संस्थान हैं ठीक तरीके से नहीं चलाए जाते है और बच्चों का शोषण करते हैं. हमने एक मामला ऐसा भी सुना है, संस्थान सरकारी पैसे से चलाए जा रहे हैं और बच्चों को भीख मांगने के लिए भेजा जाता है.

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि शेल्टर होम की व्यवस्था एक कंप्यूटर सिस्टम से किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जुवेनाइल जस्टिस कमेटियों को आंख खोले रहना चाहिए. साथ ही महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को ड्यूटी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को वह सुरक्षा दी जा रही है या नहीं, जिसके वे हकदार हैं"

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 14 Dec 2019,05:10 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT