Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019आडवाणी, जोशी के खिलाफ फैसला देने वाले पीसी घोष बने पहले लोकपाल  

आडवाणी, जोशी के खिलाफ फैसला देने वाले पीसी घोष बने पहले लोकपाल  

देश के पहले लोकपाल बने जस्टिस पीसी घोष कई चर्चित फैसलों के लिए जाने जाते हैं

क्‍व‍िंट हिंदी
भारत
Updated:
जस्टिस पीसी घोष कई चर्चित फैसलों के लिए जाने जाते हैं
i
जस्टिस पीसी घोष कई चर्चित फैसलों के लिए जाने जाते हैं
(फोटो: NHRC)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पिनाकी चंद्र घोष देश के पहले लोकपाल बन गए हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया है.

इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और मशहूर वकील मुकुल रोहतगी की सेलेक्शन कमेटी ने उनके नाम पर मुहर लगाई थी, जिसके बाद उनका नाम राष्ट्रपति के पास भेजा गया था.

बता दें, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने ही सरकार को 15 दिन के अंदर लोकपाल का नाम तय करने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज पिनाकी चंद्र घोष बने देश के पहले लोकपाल

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पिनाकी चंद्र घोष देश के पहले लोकपाल बन गए हैं. वह लोकपाल कमेटी के अध्यक्ष होंगे.

ज्यूडिशियल मेंबर्स

  1. जस्टिस दिलीप बी. भोसले
  2. जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती
  3. जस्टिस अभिलाषा कुमारी
  4. जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी

कमेटी में शामिल अन्य मेंबर्स

  1. दिनेश कुमार जैन
  2. अर्चना रामसुंदरम
  3. महेंद्र सिंह
  4. इंद्रजीत प्रसाद गौतम

जस्टिस पीसी घोष इस वक्त राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं. 2017 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड होने वाले जस्टिस घोष का नाम लोकपाल के लिए चुने गए दस नामों में से एक था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ये हैं जस्टिस पी सी घोष के चर्चित फैसले

  • जस्टिस पीसी घोष कई मशहूर फैसलों के लिए जाने जाते हैं. उनकी ही बेंच ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता और उनकी सहेली शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में मुकदमा चलाने का फैसला दिया था. जस्टिस घोष और जस्टिस अमिताभ राय की बेंच ने दोनों को अपनी लिए लंबी-चौड़ी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए जनता का पैसा इस्तेमाल करने का दोषी ठहराया था.
  • जस्टिस घोष की खंडपीठ ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में साजिश रचने के आरोप में 2017 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी,उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह के खिलाफ ट्रायल कोर्ट को आरोप दर्ज करने को कहा था. इस खंडपीठ में उनके साथ जस्टिस आर एफ नरीमन थे.
  • घरेलू हिंसा से जुड़े एक मामले में भी उनक फैसला चर्चित रहा. जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद और जस्टिस घोष की एक बेंच ने घरेलू हिंसा के मामले में फैसला दिया था कि इससे जुड़ी घटनाओं में ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. ऐसा करना अदालत की अवमानना माना जाएगा.

कंपनी अफेयर्स,संवैधानिक और सिविल लॉ के माहिर हैं जस्टिस घोष

जस्टिस घोष ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया था. इसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली. 1976 में वह एडवोकेट के तौर पर पश्चिम बंगाल बार काउंसिल से जुड़ गए. उन्हें कंपनी अफेयर्स, आर्बिट्रेशन, कॉन्सिट्यूशन और सिविल लॉ का विशेषज्ञ माना जाता है.

जुलाई 1997 में जस्टिस घोष को कलकत्ता हाई कोर्ट का जज बनाया गया. उसके बाद 2012 में वह आंध्र प्रदेश के हाई कोर्ट चले गए. इसी साल उन्हें यहां का चीफ जस्टिस बना दिया गया. 2013 में वह सुप्रीम कोर्ट भेजे गए. जस्टिस घोष यहां से मई 2017 में रिटायर्ड हुए.

जस्टिस घोष अपने परिवार में पांचवीं पीढ़ी के जज हैं.उनके पिता शंभू चंद्र घोष कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे. जस्टिस घोष सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे हैं. वह रामकृष्ण मिशन से लंबे समय तक जुड़े रहे हैं. इस समय वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 18 Mar 2019,03:13 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT