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कमलेश तिवारी मर्डर:पुलिस के काम पर उठ रहे सवाल,हत्यारे अब तक फरार

कमलेश की मां ने उठाए कई सवाल

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हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या मामले में पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की है
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हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या मामले में पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की है
(फोटो: IANS)

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हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की अब तक की कार्रवाई, दावे और कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं. तिवारी की हत्या के चौबीस घंटे बाद पुलिस महानिदेशक ने भले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया हो कि "हमने पूरे मामले का खुलासा कर दिया है." लेकिन अब तक दोनों हत्यारे पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.

हालांकि शक के आधार पर तीन आरोपियों को गुजरात और महाराष्ट्र एटीएस ने पकड़ा है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने अभी तक एसआईटी टीम गठन के अलावा कोई कामयाबी हासिल नहीं कर पाई है.

बता दें कि हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की लखनऊ के नाका हिण्डोला थानाक्षेत्र स्थित उनके घर पर शुक्रवार को गला रेतकर हत्या कर दी गई थी.

नेपाल भागना चाहता था हत्यारा

न्यूज एजेंसी भाषा के सूत्रों के मुताबिक, कमलेश तिवारी की हत्या का शक शेख अशफाकुल हुसैन और मुईनुद्दीन पठान नाम के शख्स पर है. पुलिस ने इन दोनों की तलाश में कई जगहों पर छापेमारी की है. बताया जा रहा है कि दोनों संदिग्ध नेपाल भागना चाहते थे. इसके लिए दोनों ने लखीमपुरखीरी से टैक्सी बुक कराई थी. हालांकि बॉर्डर पर सख्ती देख दोनों शाहजहांपुर चले गए.

खबर मिलने पर एसआईटी की एक टीम शाहजहांपुर पहुंची. पुलिस सूत्रों का कहना है कि पलिया पहुंची पुलिस टीम ने संदिग्ध युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो उसने खुद को टैक्सी का ड्राइवर बताया.

ड्राइवर के मुताबिक दो लोगों ने टैक्सी बुक कराई थी. वह नेपाल बार्डर पार करना चाहते थे, लेकिन वहां काफी चौकसी थी, इसलिए दोनों शाहजहांपुर गए और टैक्सी छोड़ दी. अब इस आधार पर पुलिस दोनों संदिग्धों की लोकेशन पता चलाने में जुटी है.

बता दें कि पुलिस के मुताबिक 17 अक्टूबर को जिस होटल में हुसैन और पठान रुके हुए थे, वहां से खून से सना भगवा कुर्ता और एक तौलिया बरामद किया गया था.

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कमलेश तिवारी की हत्या के आरोपियों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का इनाम

कमलेश तिवारी हत्या के दो आरोपियों को पकड़ने के लिए यूपी पुलिस ने ढाई-ढाई लाख रुपये का इनाम रखा है. यूपी पुलिस ने इन दोनों का पोस्टर भी जारी किया है, जिसमें कथित आरोपियों से जुड़ी हर जानकारी दी गई है. साथ ही इनकी सूचना देने के लिए पुलिस अधिकारियों का नंबर भी दिया गया है.

कमलेश की मां ने उठाए कई सवाल

कमलेश तिवारी की मां ने उनकी सुरक्षा को कम करने के लिए यूपी पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया है. कमलेश की मां कुसुम तिवारी को पुलिस प्रशासन से शिकायत है. उन्होंने कहा:

“इस सरकार में कमलेश की सुरक्षा लगातार कम की गई. पिछली सरकार में कमलेश को 17 सुरक्षाकर्मी मिले थे, जो कम होते-होते आठ तक सिमट गए और योगी की सरकार में यह संख्या घटकर चार तक पहुंच गई. दो कमलेश के साथ चलते थे और दो दफ्तर में रहते थे. जिस दिन कमलेश की हत्या हुई, उस दिन एक भी सुरक्षाकर्मी उनके साथ नहीं था.”

कुसुम तिवारी का साफ कहना है कि पुलिस ने अगर सुरक्षा दी होती, तो शायद इतनी बड़ी घटना न हो पाती. इसके अलावा कमलेश की मां ने किसी मंदिर विवाद मामले को लेकर एक बीजेपी नेता पर उनके बेटे की हत्या करवाने का आरोप लगाया था.

कमलेश तिवारी की मां ने योगी को पहले बताया बेटा, फिर बयान से पलटी

कमलेश तिवारी की मां ने रविवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद उन्हें बड़ा बेटा बताया था. हालांकि इसके बाद अपने पैतृक गांव पहुंचते ही वह अपने इस बयान से पलट गईं.

बता दें कि कुसुमा देवी, पत्नी किरण तिवारी और पुत्र ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की, जिसके बाद उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री से मिले. हम अपने बड़े बेटे से मिले. उन्हें बहुत दिन से बड़े बेटे के रूप में हम देख रहे हैं. बहुत अच्छा लगा. हमने उनसे मांग की है कि हमें न्याय मिलना चाहिये. जो दोषी हैं, उनको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.”

लेकिन इसके बाद वह अपने बयान से पलट गईं. उन्होंने कहा कि पुलिस के दबाव में उन्हें मुख्यमंत्री योगी से मिलना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की कार्रवाई से वह संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा,

“हिंदू धर्म में किसी की मौत के बाद 13 दिनों तक कोई भी सदस्य घर से बाहर नहीं जाता है, लेकिन यहां पर पुलिस हमारे पीछे पड़ी हुई थी. हमारी इच्छा के मुताबिक उनका (मुख्यमंत्री) हाव-भाव भी नहीं था. अगर हमें इंसाफ न मिला तो हम खुद तलवार उठाएंगे. जैसे-तैसे मैं खुद बदला लूंगी.”

पुलिस ने पहले बताया था आपसी रंजिश का मामला

हत्या के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंचे लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी के बयान में कहा गया कि यह आपसी रंजिश का मामला है, जबकि पुलिस महानिदेशक ने इसे पुराने मामले से जोड़ने का प्रयास किया है.

परिवार के लोगों का पुलिस के प्रति अविश्वास किसी घटना की ओर इशारा करता है. हालांकि यह भी पता चला है कि पुलिस के किसी भी अधिकारी को इस मामले में कुछ भी बोलने से मना कर दिया गया है.

(सोर्स: IANS/PTI)

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Published: 22 Oct 2019,11:39 AM IST

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