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सबरीमाला के दर्शन करने वाली महिला को परिवार ने घर से निकाला

44 साल की कनक दुर्गा ने सबरीमाला की सैकड़ों साल की परंपराओं को तोड़कर मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन किए थे.

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कनक दुर्गा को एक संस्था की ओर से शेल्टर होम भेजा गया है.
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कनक दुर्गा को एक संस्था की ओर से शेल्टर होम भेजा गया है.
(फोटो: Reuters)  

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबरीमाला मंदिर में दर्शन करने वाली महिला को अपने समाज और परिवार से लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मंदिर में दर्शन करने वाली कनक दुर्गा को पहले अपनी सांस से मार खानी पड़ी थी, अब परिवार ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया है. ऐसे में कनक दुर्गा को एक संस्था की ओर से शेल्टर होम भेजा गया है.

44 साल की कनक दुर्गा ने सबरीमाला की सैकड़ों साल की परंपराओं को तोड़कर मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन किए थे. इसके बाद अपनी सुरक्षा की वजह से दो हफ्ते तक छिपी रहीं. तमाम विरोध के चलते अपने घर जाने की हिम्मत नहीं कर पाईं थी.

कनक दुर्गा के अपने बयान में बताया था कि जब कुछ दिनों बाद वो अपने घर पहुंची, तो सांस ने लकड़ी के फट्टे से उनकी जमकर पिटाई की. इस दौरान वो इतनी घायल हो गईं कि अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. सिर में काफी चोट की वजह से मल्लपुरम जिले के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कनक के ससुराल वालों के साथ-साथ मायके वाले भी मंदिर में एंट्री के उनके फैसले का विरोध कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में सुनाया था फैसला

सबरीमाला मंदिर में पारंपरिक रूप से 10-50 साल की महिलाओं को मंदिर में एंट्री की अनुमति नहीं थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 28 सितंबर को सभी उम्र की महिलाओं को एंट्री दिए जाने के पक्ष में फैसला सुनाया.

इसके बाद इतिहास रचते हुए 40 साल की दो महिलाओं बिंदु और कनक दुर्गा ने दो जनवरी तड़के मंदिर में पूजा की थी. दोनों महिलाओं के मंदिर में एंट्री के एक दिन बाद गुरुवार को केरल में हिंसक घटनाएं और प्रदर्शन हुए.

पुनर्विचार याचिकाओं पर इस महीने सुनवाई की उम्मीद नहीं

सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं. इन याचिकाओं पर इस महीने सुनवाई मुश्किल है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जस्टिस इन्दु मल्होत्रा के अवकाश पर होने की वजह से पुनर्विचार याचिकाओं पर 30 जनवरी तक सुनवाई की उम्मीद नहीं है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले में फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ की एकमात्र महिला जस्टिस मल्होत्रा कुछ चिकित्सीय कारणों से 30 जनवरी तक छुट्टी पर हैं.

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