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कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka Highcourt) ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा है. इस फैसले से कई मुस्लिम छात्राएं कक्षा छोड़ने पर मजबूर हो सकती हैं.
अदालत द्वारा अपना फैसला सुनाए जाने के बाद मुस्लिम छात्राओं ने द क्विंट से बातचीत की और ज्यादातर ने कहा कि उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ेगा.
इससे पहले कर्नाटक के एक मुस्लिम छात्र संगठन- कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने अनुमान लगाया था कि कर्नाटक के 79 शैक्षणिक संस्थानों में कुल 4,291 छात्र कक्षाओं और परीक्षाओं में नहीं बैठ पाए.
दरअसल इस संगठन ने हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश पारित करने के बाद किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर ये अनुमान जारी किया है, जिसमें प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) और अंडर ग्रेजुएट कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा गया था. जहां कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी (सीडीसी) ने ड्रेस कोड लागू किया हुआ था.
एक अन्य मुस्लिम संगठन- उडुपी मुस्लिम ओक्कुट्टा ने कहा था कि अकेले उडुपी जिले में कम से कम 230 मुस्लिम छात्राओं ने आंतरिक परीक्षाओं में भाग नहीं लिया है.
उडुपी में मंगलवार, 15 मार्च को शैक्षणिक संस्थान बंद रहे क्योंकि जिला प्रशासन ने छुट्टी घोषित कर दी थी.
पीयू और अंडर ग्रेजुएट की परीक्षाएं अप्रैल में शुरू होने की संभावना है. छात्रों ने कहा कि वे चाहते हैं कि एपेलेट कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, हस्तक्षेप करें और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाए.
हिबा ने कहा, "मेरे कॉलेज में सभी इंटरन परीक्षाएं छूट चूकी हैं या तो सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगानी चाहिए या फिर थ्योरी परीक्षाओं को स्थगित कर देना चाहिए."
इस बीच कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि सरकार हाईकोर्ट के आदेश को बिना किसी रुकावट के लागू करेगी.
वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को कहा, "हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है. मैं छात्रों से आदेश का पालन करने का अनुरोध करता हूं. मैं सभी से शांति और व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध करता हूं."
हाईकोर्ट के आदेश पर मुस्लिम छात्राओं ने कहा कि बिना हिजाब के परीक्षा में शामिल होना उनके लिए 'विकल्प नहीं' है.
एमजीएम कॉलेज, उडुपी की पीयू की छात्रा आइफा अरजा ने कहा, "मैंने अपनी प्रेक्टिकल परीक्षा छोड़ दी है. अब मुझे फाइन परीक्षा भी छोड़नी पड़ेगी. मेरे लिए हिजाब के बिना कक्षाओं या परीक्षाओं में बैठना संभव नहीं है."
हिबा ने कहा कि हाईकोर्ट ने "न्याय" नहीं किया है. अदालत ने उन मुस्लिम छात्रों की दुर्दशा पर विचार नहीं किया जो हिजाब के बिना नहीं पढ़ सकती.
उडुपी की एक अन्य छात्रा आयशा अयाथ ने कहा, "पहले, कुछ कॉलेज इस मामले में नरम थे क्योंकि वे अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे थे. अब, ये कॉलेज भी मुस्लिम छात्रों को हिजाब नहीं पहनने से रोक सकते हैं. इससे अधिक संख्या में छात्र प्रभावित होंगे."
इस बीच, उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स की उन चार छात्राओं ने जिन्होंने कॉलेज में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था उनका कहना हैं कि वे आगे और कानूनी सहारा लेंगी.
एक छात्रा आलिया असदी ने कहा, "हमारे धर्म में हिजाब महत्वपूर्ण है. हमें हाईकोर्ट पर बहुत भरोसा था. लेकिन हमें निराश किया गया."
उधर हाजरा शिफा ने कहा कि "वे हमें पढ़ने क्यों नहीं दे रहे हैं? वे हमें अनपढ़ बना रहे हैं."
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