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कर्नाटक (Karnataka) के कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा. शुक्रवार, 4 फरवरी को कुंडापुर के एक अन्य प्राइवेट कॉलेज में जब कर्मचारियों ने अंदर जाने की अनुमति देने से मना किया तो हिजाब पहनने वाली छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया. लगभग 40 छात्राओं ने भंडारकर आर्ट एंड साइंस डिग्री कॉलेज के गेट पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद कैंपस में पुलिस तैनात कर दी गई.
कॉलेज में पढ़ने वाले मुस्लिम लड़के भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.
लड़कियों ने कॉलेज के रूलबुक का हवाला दिया, जो हिजाब पहनने की अनुमति देती है. रूलबुक के मुताबिक छात्राओं को कैंपस में स्कार्फ पहनने की अनुमति है. हालांकि, स्कार्फ का रंग दुपट्टे से मेल खाना चाहिए और किसी भी छात्रा को कॉलेज कैंटीन सहित कैंपस के अंदर कोई अन्य कपड़ा पहनने की अनुमति नहीं है.
इसके पहले गुरुवार को मुस्लिम लड़कियों को कुंडापुर के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पहनकर प्रवेश करने से रोक दिया गया था.
मुस्लिम लड़कियों से संबंधित विवाद का यह मामला 28 दिसंबर को शुरू हुआ था, जब कर्नाटक के उडुपी में गवर्नमेंट पीयू कॉलेज में आठ मुस्लिम लड़कियों को क्लास के अंदर आने से मना कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने स्कूल ड्रेस के साथ हिजाब पहन रखा था. कई बार क्लास करने से मना किए जाने के बाद लड़कियों ने कैंपस के बाहर विरोध करना शुरू कर दिया.
इस मामले पर कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि मुस्लिम लड़कियों ने हेडस्कार्फ पहना है, यह उनका मौलिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
इस बीच, राज्य के अल्पसंख्यक आयोग ने कर्नाटक शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर 1 जून 2021 को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए जारी किए गए समान दिशानिर्देशों पर वापस जाने के लिए कहा, जिसमें कहा गया था कि छात्रों-छात्राओं के धार्मिक अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें हिजाब पहनने की छूट दी जानी चाहिए.
राज्य सरकार ने कक्षाओं में छात्राओं द्वारा हिजाब पहनने पर फैसले लेने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है. रिपोर्ट सौंपे जाने तक सरकार ने छात्रों को बिना हिजाब पहने यूनिफॉर्म में क्लास लेने को कहा है.
उडुपी में कॉलेज के एक स्टूडेंट ने भी इस मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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