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कर्नाटक (Karnataka) में कॉलेज कैंपस के अंदर हिजाब (hijab row) पहनने को लेकर शुरू विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक तरफ कई कॉलेजों ने कैंपस के अंदर मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, वहीं विवाद के बीच, कई हिंदू स्टूडेंट्स ने कॉलेज में भगवा स्कार्फ पहनकर विरोध किया, और मांग की कि अगर हिजाब पहनने वाली लड़कियों को क्लास में आने की अनुमति दी जाती है तो उन्हें भी ऐसा करने की अनुमति दी जाए.
ताजा मामला कुंडापुरा के एक प्राइवेट कॉलेज का है जहां छात्राओं ने हिजाब पहनने का विरोध करने के लिए भगवा स्कार्फ पहनकर मार्च किया और जय श्री राम के नारे लगाए.
इसी कॉलेज में लड़कों के द्वारा 'भगवा स्कार्फ' के रूप में हिजाब का विरोध पहले देखने को मिला था, जहां साथ में 'जय श्री राम' के नारे भी लगाए गए थे. लड़कों के इस तरह के विरोध के बाद ही कॉलेज प्रशासन ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी थी.
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर कहा कि हिजाब पहनने वाली लड़कियों के कॉलेज में प्रवेश पर रोक लगाना "मौलिक अधिकारों का उल्लंघन" है.
एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि “संघ परिवार का मुख्य एजेंडा हिजाब के नाम पर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना है. पीएम नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के बारे में बोलते हैं. क्या उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है?”
कलबुर्गी में, कांग्रेस विधायक कनीज फातिमा ने हिजाब पहनने के अधिकार का समर्थन करने के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि जैसे वो विधानसभा में हिजाब पहनती हैं, उसी तरह स्टूडेंट्स इसे क्लास में भी पहन सकते हैं.
इससे पहले सरस्वती पूजा के अवसर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि
राहुल गांधी के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए कर्नाटक बीजेपी ने ट्वीट किया है कि “शिक्षा का सांप्रदायिकरण कर कांग्रेस के को-ऑनर राहुल गांधी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह भारत के भविष्य के लिए खतरनाक हैं. अगर शिक्षित होने के लिए हिजाब बहुत जरूरी है, तो राहुल गांधी कांग्रेस शासित राज्यों में इसे अनिवार्य क्यों नहीं करते?”
कर्नाटक में हिजाब विवाद पहली बार 28 दिसंबर को तब शुरू हुआ जब उडुपी में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज ने हिजाब पहनकर कैंपस में आने के बाद छह मुस्लिम लड़कियों को क्लास के अंदर जाने पर रोक लगा दी.
पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि 2013 और 2018 में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों की स्कूल विकास और निगरानी समितियों (एसडीएमसी) ने छात्रों के लिए यूनिफार्म निर्धारित करने का अधिकार सुरक्षित रखा है.
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