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श्रीनगर में हैदरपोरा क्रॉसिंग से कुछ ही दूर एक छोटी सी सड़क जम्मू-कश्मीर के सरकारी गर्ल्स स्कूल की तरफ जाती है. स्कूल का मेन गेट खुला दिखाई पड़ता है, लेकिन करीब 280 बच्चों के इस स्कूल के आस-पास सन्नाटा पसरा है. बच्चों से गूंजने वाला स्कूल शांत है. इस स्कूल में आस-पास के इलाके से बच्चे आते हैं, जिनमें से ज्यादातर प्राइमरी के बच्चे हैं. ये हाल तब हैं जबकि इस एरिया में कोई भी प्रोटेस्ट या फिर हिंसा नहीं हुई.
बता दें कि पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से लगभग सभी स्कूलों को खोले जाने का आदेश जारी हुआ था. जिसके बाद घाटी और आस-पास के इलाकों के स्कूल खोले गए. लेकिन स्कूल खोलने की घोषणा के बाद स्कूलों के गेट जरूर खुले, स्टाफ भी आया, लेकिन कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं पहुंचे. एक स्कूल स्टाफ ने नाम न बताने की शर्त पर बताया,
आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद से ही कश्मीर और आस-पास के सभी इलाकों में कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं. सरकार ने इस फैसले के बाद से ही घाटी में आवाजाही पर रोक लगा दी. वहीं सभी शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए. जिनमें प्राइवेट स्कूल भी शामिल थे. जहां पर ज्यादातर कश्मीरी बच्चे पढ़ने आते हैं. कई दिनों तक ये स्कूल किसी हॉन्टेड प्लेस की तरह दिखने लगे थे.
हालांकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन का दावा कुछ और कहानी बयां करता है. जिसके मुताबिक स्कूलों में लगातार छात्रों की संख्या में इजाफा हो रहा है. लेकिन जमीनी तौर पर प्रशासन के ये दावे कहीं टिकते नहीं दिख रहे हैं.
पूरे जम्मू-कश्मीर में स्कूल खोले जाने को हालात में सुधार बताया जा रहा है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि स्कूल खुलने के मतलब ही हालात में सुधार है. लेकिन अभी तक लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. सभी के मन में एक ही सवाल है कि आखिर कौन बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगा?
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