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आर्टिकल 370 पर सुनवाई, केंद्र का दावा- कश्मीर में सब कुछ ठीक

आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में लगाई गई थी पाबंदियां

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भारत
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आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में लगाई गई थी पाबंदियां
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आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में लगाई गई थी पाबंदियां
(फोटो: IANS)

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कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के बाद बने हालात पर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कश्मीर को लेकर दायर कई याचिकाओं पर वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने दलील रखी. उन्होंने कहा कि 4 अगस्त को पाबंदियों के ऑर्डर जारी कर दिए गए, कोई नहीं जानता था कि 5 अगस्त से क्या होने वाला है. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों को अधिकार मिलना चाहिए कि वो केंद्र की कार्रवाई पर अपनी नाराजगी या अपनी राय व्यक्त करें. वहीं केंद्र की तरफ से कहा गया कि घाटी में अब सब कुछ सामान्य है.

कश्मीरियों को नहीं मिल रहा बोलने का मौका

सुप्रीम कोर्ट में कश्मीरियों की तरफ से दलील रखते हुए एडवोकेट अरोड़ा ने फ्रीडम ऑफ स्पीच को लेकर अमेरिका के कुछ केस याद दिलाए. उन्होंने कहा कि जो सरकार का समर्थन करते हैं उन्हें बोलने से नहीं रोका जाता है, वो खुलकर अपनी राय रख सकते हैं. लेकिन विरोध वाली राय भी सुनी जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में कश्मीर में पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कहा गया कि अगर नागरिकों के दिमाग में डर है तो कोई भी नागरिक निष्क्रिय हो जाएगा और अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा.
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अरोड़ा ने जस्टिस सुब्बाराव के एक मामले में दिए गए बयान का जिक्र किया. जिसमें उन्होंने कहा था, प्राइमरी सोसाइटी पर फिजिकल रिस्ट्रिक्शन लगाना काफी चिंताजनक है. लेकिन एक एडवांस सोसाइटी में मनोवैज्ञानिक पाबंदियां भी एक समस्या है. जो समाज की आजादी पर असर डालती हैं.

अधिकारों की बात पर जजों ने कहा कि कश्मीरियों के अधिकार आर्टिकल 370 से तय नहीं होते हैं. अधिकार आर्टिकल 19 और 21 के तहत आते हैं, न कि आर्टिकल 370 के तहत.

सरकार ने सभी दावों को बताया गलत

सरकार की तरफ से जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पूरे जम्मू-कश्मीर के लोगों को गलत जानकारी दी जा रही है. बिना तथ्यों के ही बात हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार का काम लोगों और उनकी संपत्ति को सुरक्षित रखना है. किसी के भी अधिकार नहीं छीने गए हैं. बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके अधिकार 70 साल में पहली बार पूरी तरह से दिए गए हैं.

सरकार की तरफ से घाटी में आतंकवाद को लेकर भी दलील दी गई. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सीमापार से आने वाले आतंकवाद का खतरा है. पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर के कई लोगों ने इसके चलते अपनी जान गंवाई है. उन्होंने कहा कि घाटी में हालात सामान्य हैं.

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