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हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेताओं के परिवार के सदस्यों ने शिकायत की है कि जिस एमएलए हॉस्टल को उप-जेल में तब्दील कर दिया गया है, वहां सुविधाओं की काफी कमी है. हिरासत में रह रहे नेताओं के रिश्तेदारों ने अपने संबंधियों से मिलने के लिए बुधवार सुबह श्रीनगर स्थित अत्यधिक पहरे वाले एमए रोड स्थित हॉस्टल के बाहर धरना दिया.
डिप्टी मेयर शेख इमरान के पिता शेख मुश्ताख पहली बार अपने बेटे से मिलने एमएलए हॉस्टल पहुंचे थे. उनका कहना था कि हिरासत में रह रहे नेताओं के साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है. शेख मुश्ताख ने अपने बेटे कि तुरंत रिहाई की मांग की.
वहीं पीडीएफ नेता सरताज मदनी के बेटे साकिब मदनी ने कहा, "हिरासत में लिए गए नेताओं को घर में नजरबंद क्यों नहीं किया जा रहा है."
उन्होंने आगे कहा, "हमें बेवजह परेशान किया जा रहा है. एमएलए हॉस्टल के कमरे फर्निश्ड भी नहीं हैं."
5 अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था.
इसके बाद से ही कश्मीर में इंटरनेट बंद है जबकि आधे मोबाइल फ़ोन काम नहीं कर रहे हैं. आम परिवहन और ज़्यादातर कारोबारी संस्थान बंद हैं.
सड़कों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की भी इजाजत नहीं है, ऐसा करने पर लोग हिरासत में लिए जा सकते हैं, गिरफ़्तार हो सकते हैं और रिहाई के लिए उन्हें बॉन्ड भरना पड़ रहा है.
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद भारत सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर राज्य का पुनर्गठन करते हुए इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया.
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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