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जम्मू-कश्मीर के कठुआ में बंजारा समुदाय की आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में पठानकोट की एक विशेष अदालत सोमवार को फैसला सुनाएगी. देश को चौंका देने वाले इस मामले में बंद कमरे में सुनवाई तीन जून को पूरी हो गई थी. तब जिला और न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने ऐलान किया था कि 10 जून को फैसला सुनाया जा सकता है.
अधिकारियों ने रविवार को कहा कि कठुआ में फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर अदालत और उसके आसपास कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं. उन्होंने कहा कि हालात पर करीब से नजर रखी जाएगी.
पंद्रह पन्नों के चार्जशीट के मुताबिक, पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गयी आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया. उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गयी.
मामले में रोजाना आधार पर सुनवाई पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में जिला और सत्र अदालत में पिछले साल जून के पहले हफ्ते में शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया था जिसके बाद जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पठानकोट की अदालत में मामले को भेजा गया.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश तब आया जब कठुआ में वकीलों ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को इस सनसनीखेज मामले में चार्जशीट दाखिल करने से रोका था. इस मामले में अभियोजन दल में जे के चोपड़ा, एस एस बसरा और हरमिंदर सिंह शामिल थे.
क्राइम ब्रांच ने इस मामले में ग्राम प्रधान सांजी राम, उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे और उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था. इस मामले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया. सांजी राम से कथित तौर पर चार लाख रुपये लेने और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के मामले में हैड कांस्टेबल तिलक राज और एसआई आनंद दत्ता को भी गिरफ्तार किया गया.
जिला और न्यायाधीश ने आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय किए हैं. किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो उन्हें कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है.
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