advertisement
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) कठुआ (Kathua) रेप और हत्याकांड में सबूत मिटाने के आरोपी एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता की सजा को रद्द कर दिया है. दत्ता को जमानत भी दे दी गई है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 दिसंबर को जस्टिस तेजिंदर सिंह ढींडसा और जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज की बेंच ने आनंद दत्त की शेष सजा को रद्द करने का आदेश दिया और उन्हें व्यक्तिगत बॉन्ड दिखाने पर जमानत दे दी.
2019 में, पठानकोट की एक कोर्ट ने हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा के साथ आनंद दत्त को भी सबूत मिटाने के लिए दोषी ठहराया था.
रेप के मामले में कथित तौर पर 4 लाख रुपये रिश्वत लेने के बाद सबूत खत्म करने के लिए आरोपियों को पांच साल के जेल की सजा सुनाई थी.
बता दें नाबालिग बच्ची के साथ हुए रेप और उसकी जघन्य हत्या के इस मामले में मुख्य आरोपी एक रिटायर्ड रेवेन्यू अधिकारी सांजी राम था. इसके अलावा दीपक खजूरिया और परवेश कुमार भी दोषी ठहराए गए हैं. तीनों को आजीवन कारावास की सजा हुई है.
इससे पहले 16 दिसंबर को हेड कांस्टेबल तिलक राज की सजा पर रोक लगा दी गई थी. आनंद दत्ता और तिलक राज दोनों ही लोवर कोर्ट द्वारा दी गई सजा का आधे से अधिक हिस्सा पहले ही भुगत चुके हैं.
कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने ट्वीव में लिखा कि कठुआ रेप मामले में सबूत मिटाने के लिए दोषी ठहराए गए पुलिसकर्मियों को जमानत दे दी गई है और उनके जेल की सजा को रद्द कर दिया गया है. एक बच्ची के साथ रेप होता है, उसके बाद उसकी हत्या होती है और फिर उसे इंसाफ भी नहीं मिलता. इससे पता चलता है कि इंसाप का पहिया पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है.
बता दें कि जनवरी 2018 में जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में आठ साल की बच्ची के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 10 जून 2019 को पंजाब के पठानकोट की एक कोर्ट ने फैसला सुनाया था.
बच्ची के साथ रेप की घटना होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने क्राइम ब्रांच को जांच का आदेश दिया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)