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हरियाणा सरकार के नौकरी कोटा कानून को गुरुग्राम के व्यवसायियों ने दी चुनौती

हरियाणा सरकार के नौकरी कोटा कानून को गुरुग्राम के व्यवसायियों ने दी चुनौती

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गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले हरियाणा सरकार के कानून को चुनौती दी है।

इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (औद्योगिक संघ) द्वारा लिए गए निर्णय का जिले के कई उद्योगपतियों ने समर्थन किया है।

स्थानीय उद्योगपतियों ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा पारित आरक्षण कानून न केवल उद्योग को प्रभावित करेगा बल्कि औद्योगिक और रियल एस्टेट क्षेत्र पर भी बड़ा प्रभाव डालेगा।

उद्योगपतियों को डर है कि इस तरह के कानून से मारुति प्लांट जैसी घटना हो सकती है जो कुछ साल पहले गुरुग्राम में हुई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह कानून उद्योगों के हित में नहीं है।

सेक्टर-37 इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के महासचिव जगतपाल सिंह ने आईएएनएस को बताया, हम यहां गुरुग्राम में एक औद्योगिक संघ द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत करते हैं। हम भी आरक्षण कानून के बारे में चिंतित हैं और सरकार के सामने अपनी समस्याओं को रखने की योजना बना रहे थे। इस कानून को अब उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है और हम भी एसोसिएशन के इस निर्णय का समर्थन करेंगे।

उद्योगपतियों ने कहा कि आरक्षण योग्यता के आधार पर होना चाहिए। यह कानून उद्योगों को हरियाणा से राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे आसपास के राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर करेगा।

एक उद्योगपति लोकेंद्र तोमर ने कहा, इस कानून से उद्योगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, हरियाणा में एक औद्योगिक इकाई चलाना बहुत मुश्किल हो जाएगा और अगर सरकार इस कानून को रद्द नहीं करती है, तो हम अपनी इकाइयों को राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि जैसे अन्य राज्यों में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। आरक्षण योग्यता के आधार पर होना चाहिए न कि इलाके के आधार पर। निजी क्षेत्र की नौकरियां पूरी तरह से योग्यता और कौशल पर आधारित होती हैं।

उद्योगपतियों ने जोर देकर कहा कि कानून न केवल उन्हें औद्योगिक इकाइयों को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर करेगा, बल्कि बाहरी लोगों को राज्य छोड़ने के लिए मजबूर करेगा, जिसका असर रियल एस्टेट क्षेत्र पर पड़ेगा।

सिंह ने कहा, इस कानून के कारण औद्योगिक इकाइयों में बवाल और झगड़े बढ़ने की संभावना है। सालों पहले मारुति के प्लांट में जो घटना हुई, वह अन्य औद्योगिक इकाइयों में भी हो सकती है। सरकार इस कानून को निरस्त करे, नहीं तो उद्योग धंधे यहां से पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे।

स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत नौकरी आरक्षण को अनिवार्य करने वाला हरियाणा सरकार का कानून 15 जनवरी, 2022 से लागू होगा। यह कानून निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों को 30,000 रुपये तक के सकल मासिक वेतन की पेशकश करने वाली नौकरियों के लिए आरक्षण प्रदान करेगा।

कानून में मुख्य रूप से राज्य में निजी कंपनियों, सोसायटीज, ट्रस्टों और साझेदारी फर्मों को शामिल किया गया है। कानून के अनुसार, राज्य में सभी दुकानों, शोरूम और उद्योगों, जिनमें 10 से अधिक लोग कार्यरत हैं, को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके 75 प्रतिशत कर्मचारी स्थानीय हों।

एक अन्य उद्योगपति अनुज गर्ग ने कहा, सरकार ने कानून पारित करने से पहले उद्योगपतियों या औद्योगिक संघों के साथ इस मामले पर चर्चा नहीं की। यह कानून उद्यमियों को दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर करेगा। स्थानीय लोग काम करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि वे कुशल नहीं हैं और निजी क्षेत्र को कुशल श्रमिकों की आवश्यकता है। सरकार को इस तरह के कानून को पारित करने से पहले एक कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करना चाहिए था।

औद्योगिक संघों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे हरियाणा सरकार के साथ खड़े हैं, लेकिन वे अपने व्यवसाय को जोखिम में नहीं डाल सकते, क्योंकि उन्हें अपनी उत्पादन इकाइयों (प्रोडक्शन यूनिट्स) के लिए कुशल श्रमिकों की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में, 80 प्रतिशत कर्मचारी दूसरे राज्यों से हैं, क्योंकि स्थानीय लोग निर्यात, परिधान या ऑटो उद्योगों में काम करने में सक्षम नहीं हैं।

--आईएएनएस

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