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कठुआ रेप-मर्डर केस में जम्मू कोर्ट ने इस मामले की जांच कर रही 6 सदस्यों वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए है. बता दें, कठुआ में बकरवाल गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाली 8 साल की बच्ची आसिफा की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी.
द क्विंट को 22 अक्टूबर को आए न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश की कॉपी मिली है. इस आदेश के मुताबिक, जज ने उन 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति दे दी है, जो उस SIT का हिस्सा थे जो कठुआ रेप केस में जांच कर रहे थे. इस टीम में आरके जल्ला(पूर्व एसएसपी, क्राइम ब्रांच, जम्मू), पीरजादा नावेद(एडिशनल एसपी क्राइम ब्रांच, जम्मू), श्वेतांबरी शर्मा (डिप्टी एसपी क्राइम ब्रांच, जम्मू), नासिर हुसैन (डिप्टी एसपी, क्राइम ब्रांच), उर्फान वानी (सब इंस्पेक्टर, क्राइम ब्रांच) और केवल किशोर (क्राइम ब्रांच) शामिल हैं.
कोर्ट ने सीआरपीसी के सेक्शन 156(3) के तहत अगली 7 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक एफआईआर और रिपोर्ट दर्ज करवाने की ताकत का इस्तेमाल किया.
सेक्शन 156(3) के मुताबिक: ‘अगर पीड़ित के मुताबिक ठीक से जांच नहीं हुई हो तो, मजिस्ट्रेट एफआईआर दर्ज करने और सीधी जांच के निर्देश दे सकते हैं.’
आठ साल की बच्ची के पिता मोहम्मद अख्तर ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि वह हैरान हैं कि ऐसा हो सकता है. “पुलिस अधिकारियों ने बार-बार हमें बताया था कि उनके पास यह साबित करने के लिए सबूत हैं कि विशाल जंगोत्रा मेरी बच्ची के साथ रेप करने के लिए कठुआ आया था. हम पहले ही इस बात से दुखी थे कि उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है. हमने विशाल जंगोत्रा को लेकर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने का फैसला किया थ. लेकिन, अब वे पुलिस अफसरों के ही खिलाफ केस दर्ज करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. ये गलत है."
विशाल जंगोत्रा के बरी होने के खिलाफ अपील करने की पुष्टि करते हुए मुबीक फारूकी ने कहा, "अपील 10 जून के फैसले के बाद दायर की गई थी और मामले की पहली सुनवाई 5 जुलाई को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में हुई थी."
उन्होंने बताया कि पुलिस अफसरों को भी आगे जाना चाहिए और FIR को रद्द करने के लिए कहना चाहिए. उन्होंने कहास, 'कोर्ट को जांच का आदेश देना चाहिए था लेकिन आगे जाकर FIR दर्ज करने का आदेश कठोर फैसला है. यह उनकी सर्विस और ड्यूटी पर एक काला निशान है, जो हमेशा बना रहेगा. मुझे लगता है कि वे FIR रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट का रुख करेंगे.'
आदेश में कहा गया है कि मामले में आवेदकों ने 24 सितंबर 2019 को जम्मू के पक्का डंगा पुलिस स्टेशन के एसएचओ के सामने एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें SIT के सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 194 (दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना) और अन्य धाराओं के तहत FIR दर्ज करने की मांग की गई थी.
शिकायतकर्ताओं ने कोर्ट के सामने तर्क दिया कि FIR दर्ज किए जाने का आधार ये था कि कैसे SIT के सभी सदस्यों ने आरोपी विशाल जंगोत्रा के खिलाफ झूठे सबूत गढ़ने के लिए कठुआ जिले के सचिन शर्मा और नीरज शर्मा और सांबा जिले के साहिल शर्मा को '' मजबूर और प्रताड़ित'' किया.
विशाल जंगोत्रा इस केस में मुख्य आरोपी सांजी राम का बेटा है. उसे इस केस में मुख्य आरोपी बनाया गया था. चार्जशीट के मुताबिक, इस केस में नाबालिग आरोपी को फोन करके 8 साल की बच्ची का रेप करने के लिए जम्मू के कठुआ बुलाया गया था. हालांकि, कोर्ट में पेश की गई सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, विशाल जंगोत्रा घटना के वक्त कठुआ में मौजूद नहीं था. इसके चलते उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था.
कोर्ट के आदेश में इस बात का जिक्र है कि कोर्ट को ऐसा लगता है कि आरोप लगाने वालों पर झूठे आरोप लगाने का दबाव बनाया गया था.
ऑर्डर में ये भी लिखा है कि 5 अक्टूबर को जम्मू के एसएसपी को पोस्ट के जरिए संपर्क किया गया था लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.
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