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केरल BJP पर जो आरोप लग रहे हैं उनके सामने चुनावी हार कुछ भी नहीं

केरल बीजेपी नेताओं के खिलाफ लूट कांड में जांच, अब चुनावी घूस का आरोप

क्विंट हिंदी
भारत
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बीजेपी के लिए नई मुश्किलें
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बीजेपी के लिए नई मुश्किलें
(फोटो: पीटीआई)

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केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली है, जो एक सीट थी वो भी पार्टी हार गई. लेकिन अब हार के बाद बीजेपी पर चुनाव में पैसे के लेन देन का आरोप लग रहा है. केरल बीजेपी के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है.

चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल रहीं एक नेता ने दावा किया है कि उनकी पार्टी की अध्यक्ष और आदिवासी समाज की अहम चेहरों में से एक सीके जनु ने केरल बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन से एनडीए में लौटने के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से 10 लाख रुपये उन्हें पहुंचाए भी गए थे.

बीजेपी ने अभी तक जनथिपथ्य राष्ट्रीय सभा (जेआरएस) की कोषाध्यक्ष प्रसीथा अझिकोड द्वारा लगाए गए आरोपों को सुरेंद्रन झूठ बताया है.

प्रसीथा ने अपने और सुरेंद्रन के बीच फोन पर कथित बातचीत का एक ऑडियो भी जारी किया है जिसमें जेआरएस प्रमुख सी के जनु को कथित तौर पर 10 लाख रुपये दिए जाने का जिक्र है.

द इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक, जारी किए गए ऑडियो में के सुरेंद्रन की आवाज होने का दावा किया गया है. प्रसीथा दावा कर रही हैं कि क्लिप में जो आवाज सुनाई दे रही है वो सुरेंद्रन की है. टेप में आवाज आ रही है,

“उन्हें 6 मार्च को आने दो. मैं उन्हें निजी तौर पर यह दे दूंगा. तुम भी आना… चुनाव के दौरान यह पैसों का लेन-देन… यह मुमकिन नहीं कि इसे इधर-उधर ले जाया जाए.”

वहीं आदिवासी नेता जनु ने आरोपों से इनकार किया है और पार्टी से अलग हुए लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की धमकी दी है.

सीके जनु ने 2016 में जेआरएस बनाया था और 2018 में गठबंधन छोड़ने से पहले एनडीए के सहयोगी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था. वह सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ में शामिल होना चाहती थी, लेकिन यह कदम अमल में नहीं आया.

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रिशवत कांड का तार लूट कांड से जुड़ा

ताजा आरोप ने बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. और इसलिए क्योंकि ये आरोप ऐसे समय में लग रहा है जब केरल पुलिस त्रिस्सूर में साढ़े तीन करोड़ रुपये की लूट से जुड़े मामले में बीजेपी के कई नेताओं की जांच कर रही है. पुलिस को शक है कि यह पैसा "बेहिसाब चुनावी फंड" का हिस्सा था.

दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले केरल के त्रिस्सूर-एर्नाकुलम राजमार्ग पर कोडकारा में 3 अप्रैल 2021 को साढ़े तीन करोड़ रुपए की डकैती का मामला सामने आया था. 7 अप्रैल को मतदान के एक दिन बाद जिस गाड़ी से पैसे लूटे गए थे उसके कार चालक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

द न्यूज मिनट के मुताबिक शमजीर शमसुदीन नाम का एक व्यक्ति एक गाड़ी में पैसे ले जा रहा था जो माना जाता है कि त्रिस्सूर से कोच्चि जा रहा था. जैसे ही वे त्रिस्सूर के कोडकारा फ्लाईओवर पर पहुंचा, दो वाहनों में सवार लगभग नौ लोगों ने शमजीर की कार को रोक दिया, कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की और वाहन में रखी पूरी राशि लूट ली.

चार दिन बाद शमजीर ने घटनास्थल से 500 मीटर दूर कोडकारा थाने में डकैती की शिकायत दर्ज कराई. शमजीर ने अपनी शिकायत में कहा कि उसकी गाड़ी से 25 लाख रुपये की लूट की गई, जो कथित तौर पर जमीन के सौदे के लिए था. पुलिस ने 7 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज की थी. यहीं से ट्विस्ट की शुरुआत हुई. पुलिस ने पाया कि यह मामला 25 लाख रुपये का नहीं था, बल्कि इससे कहीं अधिक राशि लेकर जाया जा रहा था.

गाड़ी चलाने वाला शमजीर डकैती के चार दिन बाद अकेले थाने में शिकायत दर्ज कराने नहीं आया, वह जिसके यहां काम करता था उसे लेकर आया. शमजीर के साथ वाले शख्स का नाम था एके धर्मराजन, जिसे आरएसएस का सदस्य बताया जा रहा है. धर्मराजन ने ही वो पैसे शमजीर को दिए थे. शिकायत में दोनों ने दावा किया कि कार त्रिस्सूर से कोच्चि जा रही थी. कोडकारा पुलिस अधिकारियों ने द न्यूज मिनट को बताया कि शुरू में उन्हें शिकायत की सत्यता पर कोई संदेह नहीं था. धर्मराजन ने दावा किया था कि पैसे कई लोगों से उधार लिए गए थे.

हालांकि, पुलिस ने पहले दीपक नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया और फिर 19 और लोगों को गिरफ्तार किया, जो कथित तौर पर डकैती में शामिल थे. जब उन्होंने चोरी किए गए पैसे को बरामद करना शुरू किया, तो उन्होंने पाया कि यह राशि 25 लाख रुपये से कहीं ज्यादा थी.

युवा मोर्चा का भी नाम शामिल

आगे पुलिस की जांच में धर्मराजन ने बताया कि सुनील नाइक नाम के एक युवा मोर्चा के नेता ने उसे पैसे दिए थे. कोडकारा पुलिस ने जब सुनील नाइक से संपर्क किया तो उसने कहा कि उसने तीन स्रोतों से पैसे उधार लेकर धर्मराजन को दिए थे, जो उसका कारोबारी सहयोगी था. तब जाकर, पुलिस को पता चला कि 25 लाख नहीं बल्कि यहां 3.5 करोड़ रुपये की लूट हुई थी. पुलिस अब तक करीब एक करोड़ रुपये बरामद कर चुकी है.

वहीं सत्ताधारी लेफ्ट फ्रंट के नेताओं का आरोप है कि यह डकैती स्थानीय बीजेपी नेताओं का “गढ़ा गया ड्रामा” था. जिसके जरिए चुनावों में उपयोग ना किए जा सकने वाले फंड को हड़पने की मंशा थी.

जेआरएस की कोषाध्यक्ष प्रसीथा अझिकोड ने सीके जनु को अपने वित्तीय लेनदेन की जांच का सामना करने की चुनौती दी है. उन्होंने कहा, सीके जनु को लेकर पार्टी में अशांति है.

उनके अनुसार, BJP नेता सुरेंद्रन जनु को एनडीए में वापस लाने चाहते थे क्योंकि वह एक प्रमुख आदिवासी नेता हैं. प्रसीथा ने आरोप लगाते हुए कहा,

“तब जनु ने 10 करोड़ रुपये, केंद्र सरकार में कैबिनेट रैंक और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक सीट की मांग की थी. मैं जनु के साथ तब मौजूद थी जब उसने मार्च की शुरुआत में कोट्टायम में सुरेंद्रन के साथ सीधे तौर पर मांगें उठाईं.’’

प्रसीथा के मुताबिक, वह 6 मार्च को जनु के साथ 10 लाख रुपये लेने तिरुवनंतपुरम गई थी, लेकिन जब पैसे सौंपे गए तो वह गेस्ट हाउस में मौजूद नहीं थी. संयोग से, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगले दिन एक पार्टी कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए 6 मार्च की देर रात तिरुवनंतपुरम पहुंचे थे.

आरोपों से इनकार करते हुए, जनु ने कहा,

“मेरी बीजेपी नेताओं के साथ प्रसीथा और अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा अच्छे संबंध हैं. फिर, मैं किसी तीसरे व्यक्ति की सहायता क्यों लेती? मुझे नहीं पता कि उसने मेरी ओर से पैसे लिए थे या नहीं. जांच से इसका खुलासा हो जाएगा.’’
सीके जनु

कथित ऑडियो क्लिप में, प्रसीथा को यह कहते हुए सुना जाता है कि 10 करोड़ रुपये की मांग अवास्तविक थी और जनु कुछ वित्तीय मुद्दों को सुलझाने के लिए 10 लाख रुपये चाहती थी - और यह बेहतर होगा कि उसे सीधे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा भुगतान किया जाए.

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