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केरल हाई कोर्ट ने 15 मार्च को आदेश दिया कि 21 साल की ट्रांसजेंडर महिला हिना हनीफा को नेशनल कैडेट कॉर्प्स (NCC) में लिया जा सकता है. हनीफा ने कॉर्प्स के महिला विंग से खुद को बाहर रखने के NCC के फैसले को चुनौती दी थी. फैसला जस्टिस अनु शिवारमन ने सुनाया.
आदेश के मुताबिक, एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति खुद को किस जेंडर की तरह पहचानता है, इसके आधार पर वो NCC में जाने का हकदार है. दूसरे शब्दों में खुद को महिला मानने वालीं हनीफा को NCC के महिला विंग में शामिल किया जा सकता है.
हनीफा ने NCC कानून 1948 के सेक्शन 6 को चुनौती दी थी, जो कि भर्ती करने के लिए दो जेंडर - महिला और पुरुष में वर्गीकृत करता है. NCC को चलाने वाले रक्षा मंत्रालय ने तर्क दिया था कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति को शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि NCC कानून इसकी इजाजत नहीं देता.
फैसले से पैरामिलिटरी और मिलिट्री सेवाओं में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की एंट्री का रास्ता खुलने की संभावना है.
हनीफा केरल के एक छोटे से शहर मालापुरम में तीन बहनों के इकलौते 'भाई' के रूप में जन्मी थीं. समाज में घुलना-मिलना पसंद करने वाली हनीफा का NCC की तरफ झुकाव था. उन्होंने पहली बार खाकी स्काउट यूनिफॉर्म NCC मेल कैडेट विंग जॉइन करने के लिए पहनी थी. क्लास 10 में उन्हें 'A सर्टिफिकेट' मिला था, जो कि अच्छे कैडेट्स को दिया जाता है.
हिना की जिंदगी उस समय बदल गई, जब उन्होंने 19 साल की उम्र में अपनी ऑर्थोडॉक्स मुस्लिम फैमिली को सच्चाई बताई.
हिना का अगला कदम तिरुवनंतपुरम में यूनिवर्सिटी कॉलेज में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए आरक्षित दो सीटों में से एक पर एडमिशन लेना था. वो कॉलेज की NCC यूनिट को जॉइन करने के लिए बेताब थीं. लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी.
हिना ने अक्टूबर 2019 में दो अपील की थीं- एक कॉलेज में NCC यूनिट और दूसरी NCC तिरुवनंतपुरम में कमांडिंग ऑफिसर को. जब उनकी अपील का कोई जवाब नहीं आया, तो हिना ने नवंबर 2019 में केरल हाई कोर्ट में रिट दायर की थी.
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