Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019'वो हमेशा डॉक्टर बनना चाहती थी' मरीज के हमले में मरीं डॉ वंदना के दोस्त और परिजन

'वो हमेशा डॉक्टर बनना चाहती थी' मरीज के हमले में मरीं डॉ वंदना के दोस्त और परिजन

Kerala के कोट्टारक्कारा में हाउस सर्जन डॉक्टर वंदना दास की एक मरीज ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी.

मीनाक्षी शशि कुमार
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>मरीज का इलाज कर रही थी डॉक्टर- मरीज ने कैंची से किया हमला, डॉक्टर की मौत</p></div>
i

मरीज का इलाज कर रही थी डॉक्टर- मरीज ने कैंची से किया हमला, डॉक्टर की मौत

(क्विंट हिंदी)

advertisement

जिष्णु शाजी बुधवार, 10 मई को केरल के एर्नाकुलम (Ernakulam) के अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर (OT) ड्यूटी पर थे, जब किसी ने उन्हें बताया कि कोल्लम जिले के एक सरकारी अस्पताल में एक मरीज द्वारा एक हाउस सर्जन की हत्या कर दी गई है.

वह नहीं जानते थे कि मृतका कौन थी, लेकिन वह परेशान थे. दरअसल, अभी दो दिन पहले शराब के नशे में एक मरीज ने उसके साथ आईवी स्टैंड से मारपीट की थी. द क्विंट से बातचीत में डॉक्टर जिष्णु ने बताया, "मैंने तब इसे हल्के में लिया था. मुझे लगा कि यह एक डॉक्टर के रूप में हमारे जीवन का एक हिस्सा है."

लेकिन ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकलने और अपने फोन पर कॉल और मैसेजेस की भरमार देखने के बाद ही उन्हें पता चला कि जिस डॉक्टर को मारा गया, वह उनकी बचपन की दोस्त वंदना दास थी.

डॉ जिष्णु ने कहा, "मैंने वंदना के साथ क्लास 8 से कक्षा 12 तक डी पॉल पब्लिक स्कूल, कुराविलंगड [कोट्टायम जिले] में पढ़ाई की है. मैं उसे हमेशा एक ऐसे इंसान के रूप में याद रखूंगा जो बहुत भावुक थी. वह कक्षा 10 से ही जानती थी कि उसे डॉक्टर बनना है."

डॉ वंदना दास कोट्टारक्कारा तालुक अस्पताल में हाउस सर्जन थीं. कोल्लम के अज़ीज़िया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस पूरा करने के बाद, उन्हें अस्पताल में एक ग्रामीण पोस्टिंग दी गई, जहां वह मार्च से काम कर रही थीं.

लेकिन किस्मत डॉ. वंदना के लिए क्रूर थी, जो सिर्फ 22 वर्ष की थी. बुधवार सुबह लगभग 4 बजे, एक 42 वर्षीय स्कूल टीचर ने उनके साथ मारपीट की और उनकी सिर, गर्दन और रीढ़ पर कैंची से वार किये. आरोपी अपने घावों के इलाज के लिए अस्पताल आया था.

आरोपी संदीप का पहले एक नशामुक्ति केंद्र में ड्रग्स के सेवन के लिए इलाज चल रहा था, और उसके साथ पुलिस भी थी, जो इस घटना में घायल भी हुई थी.

डॉक्टर वंदना को तिरुवनंतपुरम के KIMS अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार 11 मई को दोपहर 2 बजे कोट्टायम स्थित उनके घर में गया.

'उसमें सीखते रहने की ललक थी'

डॉ जिष्णु ने द क्विंट को बताया, "जैसे ही मुझे वंदना की मौत के बारे में पता चला, मैंने स्कूल से अपने क्लास टीचर को फोन किया. उन्होंने मुझसे पूछा: 'वंदना जैसी किसी लड़की को कोई कैसे चोट पहुंचा सकता है, जो इतनी विन्रम और मासूम थी?' और फिर वह फूट-फूट कर रोने लगी."

डॉ जिष्णु ने वंदना को ऐसी लड़की के रूप में बयां किया जो अपने सामने आने वाले सभी के साथ फ्रेंडली थी.

"जब हम स्कूल में थे, तो वह वास्तव में जो कुछ भी पढ़ती थी उसे पसंद करती थी. उसने जुनून से चीजें सीखीं, मजबूरी से नहीं. ऐसे बहुत से लोग हैं जो मेडिकल की पढ़ाई सिर्फ करने के लिए करते हैं. लेकिन वंदना ऐसी नहीं थी."

"उसने कभी कोई कक्षा नहीं छोड़ी. वह बहुत दृढ़ थी. वह न केवल पढ़ाकू थी, वह एक अच्छी डांसर भी थी."

डॉ जिष्णु ने कहा कि हालांकि वे 12वीं कक्षा के बाद से कभी भी एक-दूसरे से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल पाए, लेकिन वे हमेशा संपर्क में रहे. "हम हमेशा फोन पर संपर्क में रहते थे, लेकिन हम वास्तव में अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे. परीक्षा के बाद, मैं उससे यह कहने के लिए मैसेज करता था कि मैंने सब कुछ क्लियर कर लिया है. जब भी हमारे जीवन में कुछ महत्वपूर्ण होता, हम एक दूसरे को बता देते थे."

गुरुवार की सुबह अंतिम संस्कार के लिए वंदना के घर के बाहर खड़े डॉ. जिष्णु ने कहा, "मैंने सोचा नहीं था कि मैं उसे फिर से इस हालात में देखूंगा.

"मैं पास में ही रहता हूं, और मैं हमेशा सोचता था कि अगली बार जब मैं उसके घर जाऊंगा, तो मैं वहां किसी फंक्शन के लिए जाऊंगा - जैसे उसकी शादी में. मुझे उसके अंतिम संस्कार के लिए यहां आने की उम्मीद नहीं थी. मुझे यहां तक आने में भी मुश्किल हो रही है, घर में कदम रखने में भी."
डॉ जिष्णु
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

'वह बस विशु के लिए घर गई थी'

डॉ वंदना के अंकल जयतिलक ने द क्विंट को बताया, "वंदना के माता-पिता के पास सिर्फ वो थीं, इसलिए उन्होंने उसे दुनिया का सारा प्यार और देखभाल दी." वह कोट्टायम जिले के मंजूर शहर की रहने वाली थी, और बिजनेसमैन केजी मोहनदास और वसंतकुमारी की इकलौती बेटी थी.

"जैसे ही उसने एमबीबीएस पूरा किया, उसके पिता ने अपने घर के बाहर एक नेमप्लेट लगवा दी, जिस पर लिखा था: 'डॉ वंदना दास एमबीबीएस'. उन्हें उस पर बहुत गर्व था - और उन्होंने अपना सारा पैसा उसकी शिक्षा पर खर्च कर दिया था."
जयतिलक

कोट्टायम में डॉक्टर वंदना के घर के बाहर लगी नेमप्लेट.

(फोटो: ट्विटर)

जयतिलक ने याद किया कि कैसे वंदना 15 अप्रैल को विशु, मलयाली नव वर्ष के लिए घर आई थी और कैसे यह उनके परिवार के लिए एक खुशी का समय था. "वंदना हमेशा एक डॉक्टर बनने वाली थी. वह लोगों और जानवरों की भी देखभाल करती थी. उसके घर में दो बिल्लियां भी थीं!"

जब द क्विंट ने जयतिलक से बात की, तो वो डॉ वंदना के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे. "उसके दोस्त और उसके स्कूल और कॉलेज के शिक्षक सभी यहां हैं. यह लोगों का एक हुजूम है. यह केवल यह दिखाता है कि उसे कितना प्यार किया गया था और वह कितनी याद आएगी."

डॉ. वंदना की मौत ने एक बार फिर अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा की कमी की पोल खोल दी है. केरल हाउस सर्जन एसोसिएशन युवा डॉक्टरों के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों और काम के माहौल की मांग को लेकर राज्य भर में हड़ताल पर है.

बुधवार से, वे डॉ. वंदना और उनके जैसे कई लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए, केरल के अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं सहित आउटपेशेंट ड्यूटीज का बहिष्कार कर रहे हैं.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की केरल इकाई और केरल मेडिकल पोस्टग्रेजुएट एसोसिएशन ने भी हड़ताल और ड्यूटी का बहिष्कार करने का आह्वान किया है.

केरल सरकार ने गुरुवार, 11 मई को घोषणा की कि वह अस्पताल सुरक्षा अधिनियम में संशोधन के लिए एक अध्यादेश जारी करेगी और प्रमुख अस्पतालों में पुलिस चौकियों की स्थापना करेगी. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अगले विधानसभा सत्र के दौरान अध्यादेश जारी किया जाएगा.

डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार निम्न कदम उठाएगी:

  • राज्य के प्रमुख अस्पतालों में पुलिस चौकियां स्थापित की जाएंगी.

  • केरल हेल्थकेयर सर्विस पर्सन एंड हेल्थकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) अधिनियम 2012 को मजबूत करने के लिए संशोधन लाया जाएगा.

  • मौजूदा कानून में समय-समय पर स्वास्थ्य संस्थानों और स्वास्थ्य कर्मियों की परिभाषाओं में आवश्यक बदलाव लाया जाएगा.

  • चिकित्सा संगठनों द्वारा सरकार को भेजे गए याचिकाओं और सुझावों पर विचार किया जायेगा.

  • सुरक्षा उद्देश्यों के लिए अस्पतालों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा

  • सभी अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे

  • हर छह महीने में अस्पतालों में सुरक्षा ऑडिट होगी

  • आरोपी व्यक्तियों और हिंसक प्रकृति के व्यक्तियों को अस्पतालों में ले जाने के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाए

  • अस्पतालों में और उसके आसपास भीड़ को नियंत्रित किया जायेगा

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT