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केरल (Kerala) के वायनाड में 11 फरवरी को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज के कैंपस में विश्वनाथन (46) नाम के शख्स का शव मिला था. पुलिस घटना को आत्महत्या बता रही है जबकि परिजनों का दावा है कि विश्वनाथन की मौत सुसाइड से नहीं हुई है, बल्कि उसकी हत्या की गई है.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत को आत्महत्या बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है, "विश्वनाथन की मौत फांसी से हुई और उनके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं हैं. हालांकि, बाईं जांघ, घुटने और उसके नीचे के हिस्से में खरोंच के निशान हैं. कुल मिलाकर, उनके शरीर पर छह छोटे चोट के निशान पाए गए हैं."
इस बीच, केरल सरकार ने विश्वनाथन के परिवार को सहायता के रूप में 2 लाख रुपये देने की मंजूरी दी. SC/ST मामलों के मंत्री के राधाकृष्णन ने वादा किया कि इस घटना की गहन और निष्पक्ष जांच की जाएगी.
आदिवासी समुदाय से आने वाले विश्वनाथन वायनाड की परवायल कॉलोनी में रहता था. विश्वनाथन ने पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती किया था और वह वेटिंग एरिया में बैठकर इंतजार कर था. इस दौरान किसी का मोबाइल और पैसा गायब हो गया. इसके बाद अस्पताल के कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों ने विश्वनाथन पर चोरी का आरोप लगाते हुए हंगामा किया और जमकर पिटाई की.
घटना के बाद विश्वनाथन अपना शर्ट, मोबाइल फोन, सैंडल और प्लेट एक दुकान के पास छोड़कर फरार हो गया. फिर जब विश्वनाथन लौटकर नहीं आया तो उसकी सास लीला ने मेडिकल कॉलेज पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद 11 फरवरी सुबह में उसका अस्पताल के पास एक पेड़ से लटका शव मिला. घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता, आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता और लेखकों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई है.
जानकारी के अनुसार, विश्वनाथन के शरीर पर चोट के निशान थे, लेकिन पुलिस का कहना है कि वे तब लगे थे जब वह खुद को फांसी लगाने के लिए पेड़ पर चढ़ा था. आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता धन्या रमन ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, "आंख और होंठ पर एक कट. गर्दन के नीचे निशान जैसे कि किसी चट्टान से टकराया हो. घुटने सहित मृत्यु से पहले हुए छह निशान. ये आत्महत्या नहीं दर्शाते हैं?"
रमन ने आगे लिखा, "CCTV फुटेज में विश्वनाथन डर के मारे भाग रहा है. दीवार के पास उसका ऐसी जगह पर पीछा किया जा रहा था जहां CCTV नहीं था. यह जानने वालों ने ही उसकी पिटाई की होगी. वह मौज-मस्ती के लिए भी पेड़ पर नहीं चढ़ा था. विश्वनाथन ने कहा था कि वह अपने वर्कप्लेस पर पेड़ पर नहीं चढ़ सकता...यह हत्या है, नरसंहार है."
आदिवासी भाषाओं में लिखने वाले कवियों के एक ग्रुप ने भी एक बयान जारी कर उनकी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग की. यह कहते हुए कि विश्वनाथन की पत्नी बिंदू और उनके रिश्तेदार लगातार कह रहें हैं कि उसके आत्महत्या का कोई कारण नहीं था क्योंकि आठ साल के इंतजार के बाद 9 फरवरी को उसकी पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया था.
सुकुमारन चालिगाधा, पी शिवलिंगन, धन्या वेंगाचेरी और बिंदू इरुलम द्वारा जारी बयान में बयान में कहा गया है कि अट्टापडी और वायनाड के आदिवासी इलाकों में इन समुदायों को नस्लवादी हमलों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, “इस तरह के मामलों के पीछे यह धारणा है कि आदिवासी समुदाय के सदस्य दूसरे दर्जे के नागरिक, चोर, अपराधी और शराबी हैं. समाज उन्हें नागरिक के रूप में नहीं बल्कि नौकर के रूप में देखता है. यह एक दुस्साहस के कारण होता है कि उन आदिवासियों पर कोई भी अत्याचार किया जा सकता है जिनके पास शक्ति, धन या संसाधन नहीं हैं. यह केरल के लिए पूरी तरह से अपमानजनक है जो खुद को एक आधुनिक समाज होने पर गर्व करता है."
CPI(M) से जुड़ी एक प्रगतिशील कला और साहित्यिक संस्था पुरोगमना कला साहित्य संगम (PuKaSa) ने भी विश्वनाथन की मौत पर चिंता व्यक्त की है. संस्था ने अपने बयान में कहा, “केरल वह क्षेत्र है जहां पुनर्जागरण आंदोलन लोगों को उनकी जाति, धर्म, रंग, रूप और कपड़ों के आधार पर आंकने के खिलाफ हुआ था. यह हल निकाला जाना चाहिए कि केरल का समाज भी भारतीय संविधान के खिलाफ किए जा रहे प्रचार से प्रभावित हो रहा है.''
13 फरवरी को कांग्रेस नेता और वायनाड के सांसद राहुल गांधी ने भी विश्वानथन के घर जाकर परिजनों से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि विश्वनाथन भीड़ के हमले का शिकार हुआ है और घटना की कड़ी जांच होनी चाहिए. उन्होंने Rahul Gandhi- Wayanad ट्विटर हैंडल से मलयालम में ट्वीट करके कहा था कि विश्वनाथन के परिजनों को न्याय मिलना चाहिए.
विश्वनाथन की घटना ने पांच साल पहले हुए ए मुध मामले की याद दिला दी. 22 फरवरी, 2018 को अट्टापडी में मुक्कली के पास चिंदक्की टोले के एक आदिवासी युवक मधु को जंगल की एक गुफा से पकड़ा गया और चोरी के आरोप में लिंचिंग की गई. पिटाई के बाद उसे पुलिस को सौंपा गया, लेकिन अस्पताल ले जाते समय मधु की मौत हो गई. मौत की वजह मारपीट से लगी अंदरूनी चोटें थीं.
भीड़ द्वारा आदिवासी युवक मधु को पकड़ने की तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. घटना के दो दिन बाद मधु की मौत को लेकर बवाल होने पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, सभी 16 अभियुक्तों को केरल हाईकोर्ट से 30 मई, 2018 को सशर्त जमानत मिल गई.
इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने अगस्त में 12 अभियुक्तों की जमानत रद्द कर दी, ताकि उन्हें गवाहों को प्रभावित करने से रोका जा सके. केरल हाई कोर्ट ने 11 आरोपियों की जमानत रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा.
20 अक्टूबर, 2022 को मन्नारक्कड़ में SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विशेष अदालत ने अट्टापडी मधु लिंचिंग मामले में 11 आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी. मुकदमे में अब तक अभियोजन पक्ष के 27 गवाह मुकर गए हैं. ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि क्या ए मधु को न्याय मिल पाएगा?
विश्वनाथन के मामले पर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ शमा मोहम्मद ने कहा कि हम पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं. उन्होंने कहा, "पुलिस बिना जांच के कैसे कह सकती है कि ये आत्महत्या है? हॉस्पिटल का सुरक्षाकर्मी क्यों उसके पीछे भागा? उसकी जिम्मेदारी है लोगों को सुरक्षा देना."
उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि सरकार पीड़ित परिवार का ध्यान रखे और जो भी मदद हो वह जल्द से जल्द मुहैया कराये.
अम्मिनी के ने आगे कहा, "मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने विश्वनाथन के लापता होने के समय कोझीकोड मेडिकल कॉलेज पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने उनकी फरियाद तक नहीं सुनी और उल्टा गाली-गलौज किया."
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