Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Ayodhya Verdict:मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन,फैसले की 10 खास बातें

Ayodhya Verdict:मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन,फैसले की 10 खास बातें

अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सुनाया जा रहा है.  

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
Ayodhya Verdict: मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन, SC की 10 बड़ी बातें
i
Ayodhya Verdict: मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन, SC की 10 बड़ी बातें
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है - विवादित जमीन हिंदुओं को दी जाए. केंद्र 3 महीने के अंदर एक योजना बनाए और मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट गठित करे. मुस्लिम पक्ष (सुन्नी वक्फ बोर्ड) को दूसरी जगह जमीन दी जाए.

फैसले में क्या-क्या कहा गया. बड़ी बातें यहां जानिए

Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

  1. 2.77 एकड़ की विवादित जमीन हिंदुओं को दी जाए
  2. 3 महीने के योजना बनाए सरकार और मंदिर निर्माण के ट्रस्ट गठित करे
  3. सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए
  4. शिया बोर्ड का मामला खारिज
  5. निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज. कोर्ट के मुताबिक, अखाड़ा शैबत नहीं, सिर्फ प्रबंधक रहा
  6. मस्जिद के नीचे कोई ढांचा था और वो इस्लामिक नहीं था, खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी मस्जिद
  7. बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना गैरकानूनी था
  8. हिंदू यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था
  9. उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्योध्या विवाद में अपना मामला साबित करने में नाकाम रहा है
  10. ASI की रिपोर्ट में संभावना जताई गई थी कि विवादित जगह पर एक मंदिर जैसा ढांचा था. हालांकि ASI ने यह साफ नहीं किया था कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को गिराया गया था
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इलाहाबाद कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?

30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने 2:1 के बहुमत से अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाया था और 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को मामले के 3 मुख्य पक्षकारों- निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. 3 जजों की इस बेंच में जस्टिस एसयू खान, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस धरमवीर शर्मा शामिल थे.

जस्टिस खान और जस्टिस अग्रवाल के बहुमत वाले फैसले के मुताबिक, कोई भी पक्ष दस्तावेजी सबूतों के जरिए विवादित भूमि पर अपना मालिकाना हक साबित करने में सफल नहीं हुआ.

फैसले में जस्टिस खान ने कहा था, ''मुस्लिम यह साबित नहीं कर पाए कि जमीन बाबर से जुड़ी थी, जिसके आदेश पर मस्जिद का निर्माण हुआ था. इसी तरह हिंदू भी यह साबित नहीं कर पाए कि यहां एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई.'' ऐसे में बाकी दलीलों को ध्यान में रखते हुए बहुमत के फैसले में एविडेंस एक्ट की धारा 110 के तहत हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को जॉइंट पजेशन (संयुक्त स्वामित्व) दे दिया गया. इसके तहत-

  • विवादित ढांचे के मुख्य गुंबद के पास वाली जगह (जहां राम लला की मूर्तियां रखी गई थीं) राम लला विराजमान को दी गई थी
  • राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़े को मिली थी
  • बाकी का तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया था

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश पर मामले के तीनों मुख्य पक्ष ही सहमत नहीं हुए और उन्होंने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की कम से कम 14 याचिकाएं दाखिल हुईं.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए निकालने की कोशिश भी की. हालांकि इस कोशिश के नाकाम रहने के बाद 5 जजों की संविधान बेंच ने इस मामले पर रोजाना सुनवाई शुरू की.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 09 Nov 2019,11:09 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT