Home News India मजिस्ट्रेट पाबंदी लगाते समय दिमाग लगाएं-कश्मीर पर SC की बड़ी बातें
मजिस्ट्रेट पाबंदी लगाते समय दिमाग लगाएं-कश्मीर पर SC की बड़ी बातें
‘इंटरनेट पर बैन लगाना सही नहीं है. इंटरनेट तक पहुंच की आजादी भी आर्टिकल 19(1)(a) के तहत मौलिक अधिकार है.’
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जम्मू-कश्मीर के आठ से दस पुलिस थानों को छोड़कर प्रतिबंध पूरी तरह से हटा दिया गया है
(फोटो: PTI)
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कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को लेकर 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इसके पहले जम्मू-कश्मीर में कम्युनिकेशन, मीडिया और टेलिफोन सेवाओं पर पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में लगे प्रतिबंधों पर कही ये बातें-
जम्मू कश्मीर में पाबंदी वाले सभी आदेशों की समीक्षा 1 हफ्ते में हो.
इंटरनेट पर बैन लगाना सही नहीं है. इंटरनेट तक पहुंच की आजादी भी आर्टिकल 19(1)(a) के तहत मौलिक अधिकार है.’
कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सभी इंस्टिट्यूशन्स (जैसे हॉस्पिटल, शैक्षणिक संस्थान आदि) में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा है.
धारा 144 बेवजह नहीं लगा सकते, बेहद जरूरी कारण होने पर ही धारा 144 लगाना चाहिए.
अगर आगे से सरकार कहीं भी धारा 144 लगाती है तो उसके ऑर्डर को सार्वजनिक करना होगा, जिससे उसे चुनौती दी जा सके.
प्रशासन एक हफ्ते के अंदर जम्मू कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन के ऑर्डर को रिव्यू करे.
कश्मीर ने काफी हिंसा देखी है. हम सुरक्षा के मुद्दे, मानवाधिकारों और आजादी के मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे.
पाबंदियों वाले आदेश जारी करते वक्त मजिस्ट्रेट अपना दिमाग लगाएं और समानुपात के सिद्धांत का पालन करें.
CrPC की धारा 144 का इस्तेमाल विचारों की भिन्नता को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता.
''कश्मीर ने काफी हिंसा देखी है. हम सुरक्षा के मुद्दे, मानवाधिकारों और आजादी के मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे.''
सरकार सभी आदेशों को सार्वजनिक करे जिससे उन्हें चुनौती दी जा सके. इंटरनेट शटडाउन के आदेशों को आगे समय-समय पर रिव्यू करते रहें.