advertisement
जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट तक पहुंच का अधिकार मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने 10 जनवरी को कहा, ''इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति की आजादी एक जरूरी टूल है. इंटरनेट तक पहुंच की आजादी भी आर्टिकल 19(1)(a) के तहत मौलिक अधिकार है.''
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जरूरी सेवाएं मुहैया कराने वाले सभी इंस्टिट्यूशन्स (जैसे हॉस्पिटल, शैक्षणिक केंद्र आदि) में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा है.
कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''कश्मीर ने काफी हिंसा देखी है. हम सुरक्षा के मुद्दे, मानवाधिकारों और आजादी के मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे.''
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और कश्मीर टाइम्स एडिटर अनुराधा भसीन सहित कई याचिकाकर्ताओं की तरफ से दाखिल इन याचिकाओं पर जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने सुनवाई की थी.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में जिन पाबंदियों के खिलाफ ये याचिकाएं दायर हुई थीं, उनको अगस्त 2019 से लागू किया गया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)