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केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढोतरी की है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सीएसीपी की तय लागत का 50 परसेंट अधिक समर्थन मूल्य तय किया गया है. उन्होंने कहा कि एमएसपी बढ़ाने से सरकार के खजाने पर 15,000 करोड़ का बोझ पड़ेगा.
केंद्र ने सबसे अधिक रागी की एमएसपी में 52 फीसदी की बढ़ोतरी की है, वहीं धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपये का इजाफा किया है.
पिछले 10 सालों में धान की एमएसपी में सबसे अधिक 200 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. पिछले साल सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,550 रुपये प्रति क्विंटल था. पिछले साल धान की एमएसपी में 80 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी. वहीं साल 2016-17 में 60 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी. पिछले दस सालों में धान की एमएसपी में सबसे अधिक 155 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी साल 2008-09 में यूपीए सरकार की तरफ से की गई.
खरीफ की फसल में धान और रागी को सबसे अहम माना जाता है. रागी पर सबसे अधिक 52.57 फीसदी एमएसपी बढ़ाई गई है. रागी का एमएसपी 1900 रुपए से बढ़ाकर 2897 रुपए प्रति क्विटंल किया गया है.
इसके अलावा बाजरे पर 36.8 फीसदी एमएसपी बढ़ाई गई है. बाजरे की एमएसपी पहले 1425 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो अब बढ़कर 1950 रुपये हो गई है. वहीं तुअर की एमएसपी में 4.1 फीसदी, उड़द की एमएसपी में 3.7 फीसदी और मूंग की एमएसपी 25 फीसदी बढ़ाई गई है.
स्वराज आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने एमएसपी को लेकर सरकार के फैसले को किसान आंदोलन की छोटी जीत बताया है. उन्होंने कहा, ‘किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष ने इस किसान विरोधी सरकार को मजबूर किया कि वो चुनावी साल में अपने पिछले चुनावी वादे को आंशिक रूप से लागू करे.’
योगेंद्र यादव ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि सरकार ने जो नई MSP घोषित की है, वो किसानों की मांग के मुताबिक नहीं है. उन्होंने लिखा, ‘ये एमएसपी वो ड्योढ़ा दाम नहीं है जो किसान आंदोलन ने मांगा था. ये वो दाम नहीं है, जिसका वादा मोदीजी ने किया था. ये सिर्फ वादा है, जो सरकारी खरीद पर निर्भर है. ये अस्थाई है, जो अगली सरकार की मर्जी पर निर्भर है.’ उन्होंने कहा कि किसानों को सम्पूर्ण लागत पर डेढ़ गुने दाम की गारंटी चाहिए.
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