advertisement
19 जनवरी 2015 की वो रात, दिल्ली विधानसभा चुनाव से सिर्फ 20 दिन पहले, बीजेपी के उस वक्त के अध्यक्ष अमित शाह ने देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि किरण बेदी उनकी पार्टी की तरफ से सीएम कैंडिडेट होंगी. पार्टी से लेकर राजनीतिक गलियारों में सब हैरान थे. अब ठीक 6 साल बाद एक बार सब हैरान हैं, जब 16 फरवरी 2021 की शाम खबर आई कि किरण बेदी को पुडुचेरी के उपराज्यपाल पद से समय से पहले ही हटा दिया गया है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी को उनके पद से हटा दिया है, वो भी उनके समय से करीब 100 दिन पहले. किरण बेदी ने 29 मई 2016 को पुडुचेरी के उपराज्यपाल की शपथ ली थी और मई 2021 तक उनका कार्यकाल था, लेकिन उससे पहले ही उनकी छुट्टी कर दी गई.
देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी का खाकी का सफर जितना रोमांचक और सुर्खियों से भरा रहा है उतना ही उनका राजनीतिक सफर विवादों से घिरा रहा है.
साल 2016 में किरण बेदी को पुडुचेरी का उपराज्यपाल बनाया गया था, लेकिन 16 फरवरी की शाम राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से एक बयान जारी हुआ, कहा गया कि 'राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि डॉक्टर किरण बेदी पुडुचेरी के उप राज्यपाल का ऑफिस छोड़ेंगी. किरण बेदी को ऐसे समय में पद से हटाया गया है जब पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बाकी है.
किरण बेदी पर कड़क अफसर होने का टैग तो लगा ही था लेकिन उपराज्यपाल बनने के बाद सरकार के काम में दखल का इलजाम भी लगता रहा. किरण बेदी और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा था. नारायणसामी बेदी पर ‘अलोकतांत्रिक तरीके से काम करने’ का आरोप लगाते रहे हैं. किरण बेदी की जगह तेलंगाना के राज्यपाल तामिलिसाई सौंदर्यराजन को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
7 फरवरी 2015 को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे, लेकिन तब तक बीजेपी ने अपने सीएम उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया था. इसी दौरान 15 जनवरी 2015 को किरण बेदी बीजेपी में शामिल हुईं और 19 जनवरी को उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बना दिया गया.
बीजेपी ने किरण बेदी को उनके ही पुराने साथी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ खड़ा कर दिया, लेकिन बीजेपी के अंदर दिल्ली के बड़े नेता हैरान थे. किरण बेदी भी अफसर मोड में मीटिंग पर मीटिंग लेने लगीं.
साल 2007 में किरण बेदी ने डायरेक्टर जनरल (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट) के पद से इस्तीफा देकर वीआरएस ले लिया था. जिसके बाद वो समाजिक कार्य करने लगीं. यहीं से वो अरविंद केजरीवाल के साथ काम करने लगीं. अन्ना आंदोलन के वक्त किरण बेदी अरविंद केजरीवाल के साथ काम कर रही थीं. लोकपाल बिल के लिए चले आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही थीं, लेकिन जब अरविंद केजरीवाल और बाकी साथियों ने आंदोलन से पॉलिटिकल पार्टी बनाने की बात रखी तो किरण बेदी ने अपने रास्ते अलग कर लिए.
साल 1972 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर पहली महिला आईपीएस बनने वाली किरण बेदी ने लॉ की भी पढ़ाई की है. किरण बेदी पुलिस डिपार्टमेंट में कई अहम पदों पर रह चुकी हैं.
वहीं तिहाड़ जेल में उनकी तैनाती के चर्चे भी आम हैं, जब उन्होंने कैदियों की बेहतरी के लिए जेल रिफॉर्म्स पर काम किया. लेकिन लाइफ में सब कुछ बिना किसी विवाद के हो, ये शायद ही संभव हो. फिलहाल किरण बेदी न तो अफसर हैं, न नेता और न ही उपराज्यपाल. लेकिन देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या बीजेपी उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी देती है या नहीं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)