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केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने शनिवार को अपने बयान में सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी तरह के टकराव से इनकार किया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद तो होना ही हैं, लेकिन उन्हें टकराव के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस टी राजा की उपस्थिति में माइलादुत्रयी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट का उद्घाटन किया.
सरकार और सुप्रीम कोर्ट या विधायिका और न्यायपालिका के बीच कथित मतभेदों की कुछ मीडिया रिपोर्टों की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि हम एक लोकतंत्र में हैं. नजरियों में कुछ फर्क होना तय है लेकिन आपके पास आपस में विरोधी स्थिति नहीं हो सकती. इसका मतलब टकराव नहीं है. हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. कोर्ट में उचित मर्यादा और अनुकूल माहौल होना चाहिए.
फंड आवंटन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल सरकार ने राज्य में जिला और अन्य अदालतों के लिए 9,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे और उनका विभाग धन के उपयोग के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था ताकि अधिक मांग की जा सके.
उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का बंटवारा हो सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें एक साथ काम नहीं करना चाहिए.
किरेन रिजिजू ने कहा कि हमें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि मामलों के लंबित होने जैसी चुनौतियों से निपटा जा सके. भारत में, प्रत्येक न्यायाधीश हर दिन 50-60 मामलों को संभाल रहा है. अगर मुझे इतने सारे मामले निपटाने होते तो मानसिक दबाव बहुत अधिक होता. इसलिए कभी-कभी लगातार आलोचना होती है कि न्यायाधीश न्याय देने में असमर्थ हैं, जो कि सच नहीं है.
आम आदमी को न्याय दिलाने पर रिजिजू ने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी होगी कि तमिलनाडु की सभी अदालतें अपनी कार्यवाही में तमिल भाषा का इस्तेमाल करती हैं. हाई कोर्ट में एक चुनौती है…तमिल एक शास्त्रीय भाषा है और हमें इस पर गर्व है. हम इसका उपयोग होते हुए देखना चाहेंगे. प्रौद्योगिकी में वृद्धि के साथ, कानूनी लिपियों की प्रगति से शायद कभी तमिल भाषा का उपयोग सुप्रीम कोर्ट में भी किया जा सकता है.
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