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"उसकी मौत की क्या वजह है ये हमें नहीं पता. हमारे लिए उसकी मौत एक रहस्य बनकर रह गई है. उसने कोई सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ा है. पढ़ाई को लेकर हमारी तरफ से किसी तरह का कोई दबाव नहीं था." ये कहना है प्रदीप रे का, जिनके 17 साल के बेटे ऋषित कुमार की कोटा में सुसाइड से मौत हो गई है.
ऋषित का शव कोटा स्थित एक हॉस्टल के कमरे में गुरुवार, 27 जून को मिला था. ऋषित मूल रूप से बिहार के बांका जिले का रहने वाला था और कोटा में पिछले एक साल से NEET परीक्षा की तैयारी कर रहा था. इस साल सितंबर में उसका कोर्स पूरा होना वाला था. पुलिस ने CRPC की धारा 174 के तहत अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया है.
ऋषित की मौत से पूरा परिवार सदमे में हैं. भागलपुर यूनिवर्सिटी में प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर कार्यरत प्रदीप रे क्विंट हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि उनकी आखिरी बार 21 जून को ऋषित से बात हुई थी.
क्विंट हिंदी से बातचीत में ऋषित के बचपन के एक दोस्त मोहित (बदला हुआ नाम) ने बताया, "सोमवार (24 जून) को उसने मैसेज किया था. फिर शाम को मैसेज किया और रात में कॉल करने की बात कही. उस रात हमारी बात नहीं हुई. फिर बुधवार को मुझे ध्यान आया कि वो मुझे कॉल करने वाला था. फिर मैंने उसे मैसेज किया, लेकिन उसने मेरा मैसेज नहीं देखा."
प्रदीप रे ने भी इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि उसके मोबाइल चैट में गेम और मामूली लेन-देन का जिक्र है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह 5वीं क्लास से ही ऑनलाइन गेम खेल रहा है. क्विंट से बातचीत में उसके साथ गेम खेलने वाले दूसरे लड़कों ने भी बताया कि वो एक अच्छा प्लेयर था.
मोहित ने आगे बताया, "अचानक गुरुवार को रात में साढे 12 बजे उसके एक दूसरे दोस्त अभिनव (बदला हुआ नाम) ने मैसेज किया और ऋषित के बारे में पूछा. उसने ही मुझे बताया कि उसकी भी ऋषित से दो-तीन दिन से बात नहीं हुई है और न ही वो गेम खेलने आया है. फिर अगले दिन सुबह को मैंने ऋषित के भैया को कॉल किया."
प्रदीप रे बताते हैं कि ऋषित एक बार 10 दिनों तक कोचिंग नहीं गया था. जिसकी शिकायत उन्हें इंस्टीट्यूट से मिली थी. इसके बाद वो मई महीने अपनी पत्नी के साथ उससे मिलने के लिए कोटा गए थे. ऋषित की मां बांका के एक मिडिल सरकारी स्कूल में टीचर हैं.
"हम दोनों (पति-पत्नी) बिना बताए मिलने गए थे. ये सोचकर की अचानक जाएंगे तो उसकी एक्टिविटी और वो कैसे रह रहा है ये देख पाएंगे. उसके लगातार कोचिंग नहीं जाने से मेरे दिगाम में सवाल उठा था. वहां गए तो वो ठीक था."
ऋषित का इस साल सितंबर में कोर्स कंप्लीट होने वाला था. अगले साल वो 12वीं बोर्ड और नीट की परीक्षा देता.
प्रदीप रे आगे कहते हैं, "जब बच्चे समझदार हो जाएं, तभी उन्हें घर से बाहर भेजना चाहिए. समझदारी नहीं होने से बच्चा बहक सकता है. पता नहीं क्या सोचते हैं और इस तरह का निर्णय ले लेते हैं. घर से दूर रहने से बच्चों का माता-पिता से संबंध टूट जाता है. बच्चा अकेला पड़ जाता है. बच्चों को अपने साथ रहकर पढ़ाना चाहिए."
ऋषित के बड़े भाई ने भी कोटा में दो साल रहकर पढ़ाई की है. कोर्स पूरा होने के बाद वो पटना आ गया. इस बार NEET की परीक्षा में उसे 550 नंबर मिले थे.
प्रदीप रे कहते हैं, "उन दिनों मैंने कहा था कि ऋषित को अकेला छोड़ना ठीक नहीं रहेगा. मैंने अपने बड़े बेटे को एक साल और उसी के साथ रहने के लिए भी कहा था. फिर हमने ऋषित से पूछा और उसने अकेले रहने पर सहमति जताई. लेकिन कौन जानता था कि ऐसा कदम उठा लेगा."
"ऋषित पढ़ने में काफी तेज था. देवघर से उसने 10वीं की पढ़ाई की थी और अच्छे नंबर से पास हुआ था. उसको बहुत नॉलेज था. एकेडमिक में काफी अच्छा था," अपने बेटे की बात को याद करते हुए प्रदीप रे बताते हैं कि "ऋषित बहुत बुद्धिमत्ता और प्रेरणादायक बात करता था."
उन्होंने बताया कि एक बार ऋषित ने एक स्टूडेंट की सुसाइड से मौत के बारे में बताते हुए कहा था, "देखिए कैसे मानसिक रूप से परेशान होकर बच्चा इस तरह का कदम उठा लेता है. अगर नहीं हो पा रहा था तो छोड़ देना चाहिए. लेकिन आत्महत्या करने की क्या जरूरत है."
प्रदीप रे कहते हैं, "देखिए, आज उसके साथ ही ऐसा हो गया."
हालांकि, कोटा के दादाबाड़ी थाने के SHO नरेश मीणा ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि ऋषित पढ़ाई को लेकर तनाव में था.
कोटा में ऋषित के साथ पढ़ाई कर रहे एक स्टूडेंट ने बताया, "पढ़ाई में वो ठीक था. वो शांत-शांत रहता था. ज्यादा किसी से बात नहीं करता था. रूम से भी कम ही बाहर निकलता था. हम लोगों का कोर्स एक ही था, लेकिन क्लास अलग-अलग था."
ऋषित कोटा के अनय रेसिडेंसी हॉस्टल में रहता था. उसके परिवार ने हॉस्टल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. मीडिया से बातचीत में प्रदीप रे ने पुलिस के हवाले से बताया था कि शव 24-28 घंटे पहले का था.
हॉस्टल प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा, "क्या 26 तारीख को हाजिरी ली गई थी? अगर 26 तारीख को हाजिरी ली गई होती तो उसी दिन पता लग जाता. कहीं न कहीं हॉस्टल संचालक से लापरवाही हुई है."
वार्डन ने दावा करते हुए कहा कि "उसका (ऋषित) डेली अटेंडेंस हुआ है. 25 तारीख तक साइन हुआ है."
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 25 को ही उसने कहा था कि उसकी तबीयत खराब है और उसे डिस्टर्ब न किया जाए.
प्रदीप रे और हॉस्टल के गार्ड ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि ये हॉस्टल लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का है. इस बारे में जब वार्डन से पूछा गया तो उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कही है. हालांकि संचालक का नाम आशीष बताया.
शनिवार, 29 जून को कोटा में ही ऋषित का अंतिम संस्कार हुआ.
वार्डन से जब 'स्प्रिंग फैन' के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हॉस्टल में पहले से ही स्प्रिंग फैन लगे हैं. लेकिन किसी वजह से घटना के दौरान फैन का स्प्रिंग नहीं खुला.
बता दें कि कोचिंग सिटी में सुसाइड से मौत को रोकने के लिए हॉस्टलों में 'स्प्रिंग फैन' या एंटी सुसाइड फैन लगाने की पहल की गई थी. ये ऐसे पंखे होते हैं जो 20 किलो से अधिक वजन होने पर नीचे गिर जाते हैं, जिससे सुसाइड को टाला जा सके.
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Published: 04 Jul 2024,01:38 PM IST