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देशभर में कोरोना विस्फोट के बीच हरिद्वार में जारी कुंभ मेले का अब समापन हो सकता है. प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद कुंभ को लेकर जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने भी अपनी तरफ से समापन का ऐलान कर दिया. इससे पहले भी दो अखाड़ों ने कुंभ समाप्ति की बात कही. पिछले कई दिनों से कुंभ में लाखों लोगों की भीड़ को लेकर सवाल उठ रहे थे, लेकिन उत्तराखंड की तीरथ सिंह रावत सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.
कुंभ को लेकर नए सीएम रावत का नजरिया पहले से ही साफ रहा है, जब उन्होंने कोरोना नियमों को दरकिनार कर दिया था. इसकी चर्चा हम आगे करेंगे, लेकिन पहले आपको बताते हैं कि अब सीएम तीरथ सिंह रावत का क्या रुख है.
सीएम का मौजूदा रुख कुंभ को खत्म करने को लेकर नरम नजर आ रहा है. अगर आप ये सोच रहे हैं कि ऐसा कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हुआ है, तो आप बिल्कुल गलत हैं. क्योंकि जब देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे थे, तब सीएम धड़ल्ले से कुंभ को धूमधाम से मनाने की बात कर रहे थे.
तो अब सवाल ये है कि अपनी जिद में भव्य कुंभ की बात करने वाले सीएम रावत को अचानक कोरोना का खतरा कैसे दिख गया? इसका जवाब है प्रधानमंत्री का ट्वीट, पीएम मोदी ने शनिवार 17 अप्रैल को कुंभ को लेकर एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने बताया कि महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि से उनकी बात हुई है और उन्होंने कुंभ को सिर्फ प्रतीकात्मक रखने की अपील की है. पीएम मोदी ने लिखा,
अब प्रधानमंत्री के इस ट्वीट के तुरंत बाद उत्तराखंड के सीएम रावत, जो अब तक कुंभ में कोरोना खतरे को लेकर चुप्पी साधे हुए थे, उन्होंने भी ट्वीट कर दिया. तीरथ सिंह रावत ने पीएम मोदी के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा,
इससे पहले सीएम रावत ने मुख्यमंत्री का पद मिलने के बाद पीएम मोदी को भगवान राम की तरह बताया था. तो ऐसे में जब उनके लिए ‘भगवान तुल्य’ पीएम मोदी ने कुंभ को लेकर चिंता जाहिर की, तो लाजमी था कि तीरथ सिंह रावत को अपना रुख बदलना पड़ा और आमजन की सुरक्षा की चिंता सताने लगी.
कुंभ में लाखों की भीड़ और कोरोना की मार के बीच कई साधु संत कोरोना पॉजिटव पाए गए, हरिद्वार में लगातार केस बढ़ते चले गए. ये भी कहा गया कि देशभर के लोग कुंभ में शामिल होकर अपने प्रदेश लौट रहे हैं, जो कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों का कारण हो सकता है. ये सब कुछ हो रहा था, लेकिन सरकार कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं थी. इसी बीच कुंभ मेले में शामिल दो अखाड़ों ने कुंभ समापन का ऐलान कर दिया. आनंद अखाड़ा और निरंजनी अखाड़ा ने कहा कि 17 अप्रैल को उनके लिए कुंभ की समाप्ति होगी. कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर ये फैसला लिया गया है.
यानी कुल मिलाकर अखाड़ों की सीख के बावजूद तीरथ सिंह रावत अपनी जिद पर अड़े थे, क्योंकि मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका सबसे पहला ऐलान ही यही था. जब उन्होंने कहा था कि भव्य तरीके से कुंभ का आयोजन किया जाएगा. इतना ही नहीं कोरोना की दूसरी वेव शुरू होने के बावजूद उन्होंने कुंभ को लेकर अपनी ही पार्टी के पिछले सीएम त्रिवेंद्र सिंह के लगाए सभी प्रतिबंध भी हटा दिए थे. साथ ही ये ऐलान कर दिया था कि दुनियाभर के लोग कुंभ में बिना किसी प्रतिबंध के स्नान करने आ सकते हैं. यानी सीएम ने खतरे को खुद न्योता दिया था. हालांकि इसके बाद राहत की बात ये रही कि हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और कुंभ में आने वालों को नेगेटिव कोरोना रिपोर्ट लाने के निर्देश दिए.
हरिद्वार में लगातार 500 से ज्यादा कोरोना के नए मामले रोजाना सामने आ रहे हैं. इनमें से कई साधु संत भी शामिल हैं. इसी बीच नरसिंह मंदिर के प्रमुख महामंडलेश्वर जगतगुरु डॉक्टर स्वामी श्याम देवाचार्य महाराज की कोरोना से मौत भी हो गई. ताजा आंकड़ों की बात करें तो 17 अप्रैल को हरिद्वार में 175 साधु कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. कुंभ मेले में शामिल होने वाले 229 साधु अब तक कोविड संक्रमित हो चुके हैं और ये तादाद लगाता बढ़ती जा रही है. हरिद्वार में पिछले 24 घंटे में 617 नए मामले सामने आए हैं. वहीं पूरे उत्तराखंड में रिकॉर्ड 2757 नए मामले आए हैं.
अब अगर हरिद्वार में कुंभ मेले के समापन का ऐलान होता है तो, ये उत्तराखंड सरकार की एक बड़ी किरकिरी होगी. क्योंकि जब लाखों की भीड़ को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे, तब सरकार नहीं जगी, लेकिन अब अखाड़ों ने सरकार को कोरोना के खतरे को लेकर जगाया है. आने वाले चुनावों को देखते हुए सीएम रावत फैसला लेने और कुंभ को लेकर बयान देने से हिचकिचा रहे थे, लेकिन अब रावत का ये दांव कहीं न कहीं उल्टा पड़ता दिख रहा है.
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