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कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के अवमानना नोटिस पर अपना जवाब दिया है. कामरा ने अपने हलफनामे में कहा कि ट्वीट सुप्रीम कोर्ट में लोगों के विश्वास को कम करने के इरादे से नहीं किए गए थे, बल्कि कोर्ट का ध्यान जरूरी मुद्दों पर केंद्रित करने के लिए किए गए थे.
कामरा ने आगे कहा, “ये जोक्स हकीकत नहीं हैं और ऐसा होने का दावा नहीं करते हैं. ज्यादातर लोग ऐसे जोक्स पर प्रतिक्रिया भी नहीं देते, जिन पर उन्हें हंसी नहीं आती. वो उन्हें वैसे ही नजर अंदाज करते हैं, जैसे हमारे नेता अपने आलोचकों को.”
कुणाल कामरा को पिछले साल 18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट पर किए गए ट्वीट को लेकर अवमानना नोटिस जारी किया गया था. जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने कामरा को नोटिस जारी किया था.
कामरा ने सुप्रीम कोर्ट को भगवा झंडे में दिखाना, “सुप्रीम कोर्ट इस देश का सबसे सुप्रीम जोक है”, जैसे ट्वीट्स किए थे, जिसके बाद अटॉर्नी जनरल ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की इजाजत दी थी.
कामरा ने आगे कहा कि लोकतंत्र में कोई भी संस्थान, कोर्ट भी आलोचना से परे नहीं है. हलफनामे में कामरा ने कहा, “ये मानना कि लोकतंत्र में सत्ता का कोई भी संस्थान आलोचना से परे है, ये तर्कहीन और अलोकतांत्रिक है.” उन्होंने कहा कि उनकी व्यंग्य के तरीके का उद्देश्य अपमान करना नहीं था, बल्कि “उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना था, जो मेरे हिसाब से हमारे लोकतंत्र के लिए जरूरी हैं, और जिन्हें सार्वजनिक तौर पर विद्वान लोगों द्वारा भी उठाया गया है.”
कामरा ने अपने हलफनामे में कॉमेडियन मुनवव्वर फारुकी का भी जिक्र किया, जिन्हें धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कामरा ने कहा कि भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है, जिसके कारण बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है.
आखिर में कुणाल कामरा ने कश्मीर में इंटरनेट बैन पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर कोर्ट का ये मानना है कि मैंने लाइन क्रॉस की है और वो हमेशा के लिए मेरा इंटरनेट बंद कर देना चाहता है, तो मैं भी अपने कश्मीरी दोस्तों की तरह हर 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर पोस्टकार्ड लिखूंगा.”
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