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1 मई को विश्व मजदूर दिवस मनाया जा रहा है. आज सरकार की तरफ से मजदूरों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन इसके बावजूद मजदूरों के अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरे कामों का सहारा लेना पड़ रहा है. मजदूरों का कहना है कि कोरोना काल के बाद से उनके सामने रोज-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके बावजूद उन्हें मनरेगा में जरूरी काम नहीं मिल रहा है.
आज विश्व मजदूर दिवस के मौके पर हम उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से के जनपद हाथरस की एक कहानी लेकर आए हैं. हाथरस जनपद - आगरा,अलीगढ़,और मथुरा जनपद के बीच में बसा हुआ है. जब हमने इस जिले के मनरेगा मजदूरों के आंकड़े को देखा और समझा तो कई चौकाने वाले मामले सामने आए हैं.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), जिसे मूल रूप से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) के रूप में जाना जाता है, जो की नौकरी की गारंटी की एक भारतीय योजना है, इसे 25 अगस्त, 2005 को कानून द्वारा अधिनियमित किया गया है.
अगर बात पिछले वित्तीय वर्ष के आंकड़ों की करें तो 13,897 मजदूरों ने मनरेगा के तहत कार्य करने के लिए इजाजत मांगी थी, लेकिन इन मजदूरों को काम नहीं मिल सका है. हालांकि मनरेगा के तहत मांग के अनुसार काम दिए जाने के लिए शासन के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं. लेकिन यह निर्देश कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं.
भारत की एक बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्र से आती है. गांव के रहने वाले ग्रामीणों को उनके गांवों में ही रोजगार मुहैया कराए जाने के लिए मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाए जाते रहे हैं. जिसके बाद में ग्रामीणों में आस जगी थी कि उन्हें काम मिलेगा, लेकिन इन मजदूरों को मायूसी ही हाथ लगी.
जनपद हाथरस में पिछले वित्तीय वर्ष में मनरेगा के तहत 99,259 जॉब कार्डधारक थे.इसमें से 62,515 मनेरगा जॉब कार्डधारकों ने अपने ही गांव में कार्य किए जाने की मांग की थी. लेकिन 48,618 लोगों को ही मनरेगा के तहत काम मिल सका. 13,897 मजदूरों काम मिलने का इंतजार ही करते रहे है.
ब्लॉक - डिमांड (मजदूर ) - कार्य उपलब्ध (मजदूर)
हसायन- 11243 - 8163
हाथरस- 8062 - 6240
मुरसान- 8653 - 6548
सादाबाद- 10629 - 9019
सासनी- 11121 - 8367
सहपऊ- 4978 - 4229
सिकंदराराऊ- 7827 - 6052
कुल- 62515 - 48618
परसौरा के रहने वाले योगेश कुमार बताते हैं कि हमारा जॉब कार्ड बना हुआ है, लेकिन मनरेगा के तहत कार्य करने का मौका नहीं दिया गया है. कार्ड तो बहुत दिन का बना हुआ है, लेकिन ऐसे बने इस कार्ड का क्या फायदा ?
वही उपायुक्त मनरेगा एके मिश्रा ने बताया शासनादेश के अनुसार जॉब कार्डधारक की ओर से मांग करने पर 14 दिन में कार्य दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन हम दावा करते ही मजदूर को सात दिन में ही कार्य उपलब्ध करा देते हैं.
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