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Lakhimpur case: गन्ने के खेत के बगल से गुजरती ईंट की बनी पतली सड़क के किनारे पड़ा है राख का ढेर. और उसके ऊपर पड़ी है पीली चप्पलों की एक जोड़ी, जिसपर शायद किसी की नजर नहीं पड़ी थी. पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश में यह भीग रही है. आखिरकार एक कमजोर दिख रहे बुजुर्ग की नजर इसपर पड़ती है. चप्पलों पर टिकी उसकी एकटक निगाहों में अपनेपन का भाव है. उसकी जुबान शब्दों के लिए संघर्ष करती है और वह बुजुर्ग फूट-फूट कर रोने लगता है.
मुश्किल से 100 मीटर दूर मौजूद पीड़ित परिवार में मातम छाया हुआ है. गुजर-बसर करने के लिए भी मशक्कत करने वाला यह गरीब परिवार अब जीवन भर का दर्द सह रहा है. उन्होंने अपनी दो बेटियों को खो दिया है, दोनों नाबालिग थीं.
17 साल की बड़ी बेटी ने स्कूल छोड़ दिया था और परिवार की देखभाल कर रही थी. मृत बेटियों के पिता ने बताया कि
ऐसा लगता है लगभग सभी सड़कें अब गांव के एक कोने में मौजूद इस दो कमरों के साधारण घर की ओर जा रही हैं. घर के बरामदे में पड़ी चारपाई पर मृत बहनों की मां बेहोश पड़ी है. उन्हें आस-पड़ोस की महिलाओं ने घेरा हुआ है, जो 14 सितंबर को हुई इस घटना के बाद से उनके साथ हैं.
एक कमरे में, दरवाजे के बगल में रखी सिलाई मशीन पर बंद पर्दे के बावजूद सूरज की कुछ रोशनी गिर रही है. परिवार को अपनी बड़ी बेटी के लिए इसी सिलाई मशीन को खरीदने के लिए बचत करनी पड़ी थी. वह घर में पड़े बेकार कपड़ों पर सिलाई सीखती थी. एक रिश्तेदार ने कहा कि "उसने सब काम किए, लेकिन ज्यादा पैसा नहीं कमा रही थी."
परिवार अभी तक इस त्रासदी को ठीक से समझ भी नहीं पाया है. पुलिस की जांच ने इसे और खराब कर दिया है. पुलिस ने अपने बयान में दावा किया है कि लड़कियों को उनके हत्यारे बहला कर ले गए थे, जबकि पीड़ित परिवार इसको सिरे से नकार रहा है.
मृतक लड़कियों के भाई ने कहा कि "उन्हें (पुलिस) कैसे पता कि उन्हें (बहनों को) बहला कर ले जाया गया था? क्या वे (पुलिस) यहां खुद देखने के लिए थे?"
लखीमपुर खीरी पुलिस ने दोनों लड़कियों के बलात्कार और हत्या के मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले को सुलझाने का दावा किया है.
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