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लक्षद्वीप (Lakshadweep) में राजद्रोह (Sedition) के आरोपों का सामना कर रही एक्टिविस्ट और फिल्ममेकर आइशा सुल्ताना (Ayesha Sulthana) को केरल हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है. आइशा ने केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल को केंद्र सरकार का ‘बायोवेपन’ कहा था, जिसके बाद लक्षद्वीप की कारावट्टी पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था.
ये मामला लक्षद्वीप बीजेपी के प्रमुख सी अब्दुल कादर हाजी की शिकायत पर कारावट्टी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था.
लक्षद्वीप में हाल में हुए कानूनी बदलावों को लेकर ‘MediaOne TV’ पर एक डिबेट शो आयोजित की गई थी. इसी बहस में आइशा ने कहा कि केंद्र सरकार लक्षद्वीप में प्रफुल्ल पटेल का इस्तेमाल एक बायोवेपन की तरह कर रही है. इस बयान के बाद लक्षद्वीप बीजेपी ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किए.
फिल्म प्रोफेशनल आइशा लक्षद्वीप में प्रस्तावित कानूनों का मुखरता से विरोध करती रही हैं. बीते कई दिनों से लक्षद्वीप और केरल में इन नए कानूनों को लेकर विवाद चल रहा है.
अपनी विवादित टिप्पणी को लेकर आइशा ने फेसबुक पर सफाई लिखी थी-
इससे पहले आइशा ने कारावट्टी पुलिस स्टेशन की दर्ज की गई एफआईआर के बाद गिरफ्तारी से संरक्षण पाने के लिए कोर्ट की शरण ली थी. केरल हाईकोर्ट ने 17 जून को सेडिशन केस में अंतरिम अग्रिम जमानत (एंटरिम एंटिसिपेटरी बेल) दी थी..
गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में गृहमंत्री रह चुके प्रफुल पटेल को 5 दिसंबर 2020 यानी करीब 5 महीने लक्षद्वीप की जिम्मेदारी दी गई थी. अब लक्षद्वीप स्टूडेंट एसोसिएशन समेत यहां के कई छात्र संगठन और राजनीतिक दल प्रफुल पटेल की कई नीतियों को ‘जनविरोधी’ और ‘अधिनायकवादी’ बताकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
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