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लालू को चारा घोटाले के एक और मामले में दोषी ठहराया गया है. इस तरह चारा घोटाला और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव एक दूसरे के पूरक बन गए हैं. पिछले 2 दशकों से ज्यादा समय से चारा घोटाले के कई केस कोर्ट में चल रहे हैं और उनपर सुनवाई भी होती रही है. 24 जनवरी को ऐसे ही एक केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालू को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई है. सजा के साथ ही 10 लाख का जुर्माना भी लगा है. बता दें कि लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के ही एक और केस में जेल में बंद हैं.
ऐसे में जानते हैं चारा घोटाला और उन सारे मामलों के बारे में जिनमें लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं.
चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था. लालू समेत इन आरोपियों पर चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया.
लालू को सजा:
चारा घोटाले का ये मामला देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध तरीके से निकालने का है. इस पूरे मामले में कुल 34 आरोपी थे, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और सीबीआई का गवाह बन गया.
लालू को सजा:
चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी. इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कुल 76 आरोपी थे.
लालू को सजा:
चारा घोटाले से जुड़े अभी 3 केस ऐसे भी हैं जिनमें फैसला आना बाकी है.
ये पूरा मामला बिहार सरकार के खजाने से गलत तरीके से पैसे निकालने का था. कई सालों में करोड़ों की रकम पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ निकाली. जिसमें जानवरों को खिलाये जाने वाले चारे और पशुपालन से जुड़ी चीजों की खरीदारी के नाम पर करीब 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए.
90 के दशक में चारा घोटाले का खुलासा होते ही बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था. 1996 में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो इसकी लपटों ने तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव को भी झुलसा दिया. चारा घोटाले का दाग उनकी जिंदगी पर ऐसा लगा कि उन्हें सलाखों के पीछे तक जाना पड़ा. लालू यादव 1990-97 तक 7 साल बिहार के मुख्यमंत्री रहे, उन्हीं के कार्यकाल के दौरान चारा घोटाले का खुलासा हुआ. 1996 का साल था जब बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था. झारखंड के चाईबासा में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था.
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