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गृह मंत्रालय ने कर्नाटक में लिंगायत और वीर शैव लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने के मुद्दे से पल्ला झाड़ लिया है. मंत्रालय का कहना है कि ये मुद्दा उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, इसपर अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय गौर करेगा. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर जल्द कोई फैसला होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि कर्नाटक में चुनाव आचार संहिता लागू है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. मंत्रालय को कर्नाटक सरकार से पत्र मिला है जिसमें संख्या बल के आधार पर मजबूत इन दोनों समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश की गई है.
प्रवक्ता ने बताया, ‘‘बहरहाल, ये विषय गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और इसलिए इसे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के पास भेजा जा रहा है जो इस पर फैसला करने के लिए सक्षम है.'' लिंगायत और वीर शैव की राज्य में करीब 17 फीसदी आबादी है और उन्हें बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है.
इससे पहले केंद्र सरकार में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि लिंगायत और वीर शैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने का कदम हिंदूओं को बांटने वाला है. शाह के मुताबिक लिंगायत समुदाय के सभी महंतों का कहना है कि वे समुदायको बंटने नहीं देना चाहते हैं. शाह का कहना है कि जब तक बीजेपी है कोई बंटवारा नहीं होगा.
23 मार्च को कर्नाटक की सिद्धरामैया सरकार ने लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया था. इस फैसले को लिंगायत समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश माना जा रहा था, जो आमतौर पर बीजेपी के समर्थक माने जाते रहे हैं. कर्नाटक में100 विधानसभा सीटों पर लिंगायत समुदाय की मौजूदगी है.
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