Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019PM को सोरेन की चिट्ठी- छात्रों को वो ला सकते हैं तो हम क्यों नहीं?

PM को सोरेन की चिट्ठी- छात्रों को वो ला सकते हैं तो हम क्यों नहीं?

हेमंत सोरेन ने कहा- छात्रों और मजदूरों की वापसी को लेकर बन रहा दबाव, केंद्र जारी करे आदेश

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
हेमंत सोरेन ने कहा- छात्रों और मजदूरों की वापसी को लेकर बन रहा दबाव, केंद्र जारी करे आदेश
i
हेमंत सोरेन ने कहा- छात्रों और मजदूरों की वापसी को लेकर बन रहा दबाव, केंद्र जारी करे आदेश
(फोटोः PTI)

advertisement

कोरोना वायरस के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच कई राज्यों ने अपने छात्रों और प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का काम शुरू कर दिया है. ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश सबसे पहला राज्य बना. जिसका बिहार के सीएम नीतीश कुमार लगातार विरोध कर रहे हैं. लेकिन अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या छात्रों और प्रवासी मजदूरों की वापसी लॉकडाउन की गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं है?

हेमंत सोरेन ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार लगातार केंद्र के हर नियम का पालन कर रही है. गृह मंत्रालय द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत जारी दिशा निर्देशों को देखते हुए कड़ी कार्रवाई भी हो रही है. लेकिन कुछ राज्य रोजाना गृहमंत्रालय की तरफ से जारी आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं. सोरेन ने छात्रों और प्रवासी मजदूरों की वापसी वाली खबरों को लेकर चिट्ठी में लिखा,

“समाचार पत्रों तथा टीवी चैनलों के माध्यम से जो जानकारी प्राप्त हो रही है उससे पता चलता है कि अन्य राज्यों की तरफ से भारत सरकार के आदेशों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है. झारखंड के 5 हजार से ज्यादा बच्चे कोटा तथा देश के अन्य शहरों में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं. साथ ही करीब 5 लाख से ज्यादा झारखंड के मजदूर जो अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में गए थे आज वापस आना चाहते हैं.”
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री-झारखंड
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

केंद्र को याद दिलाया 15 अप्रैल का आदेश

सोरेन ने गृहमंत्रालय के आदेश का जिक्र करते हुए बताया कि, "भारत सरकार की तरफ से 15 अप्रैल 2020 को जारी आदेश में लिखा है कि 3 मई 2020 तक व्यक्तियों का इंटर-स्टेट आवागमन मना है. आदेश का उल्लंघन डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत अपराधिक होगा. झारखंड सरकार ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहता है जो भारत सरकार के आदेशों के उल्लंघन की श्रेणी में दर्ज हो. लेकिन रोजाना दिख रहा है कि कुछ राज्य आपसी सहमति से बड़े पैमाने पर छात्रों का इंटर-स्टेट आवागमन करवा रहे हैं. जबकि गृह मंत्रालय की तरफ से ऐसा करने के लिए कोई रियायत नहीं दी गई है."

बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सबसे पहले राजस्थान के कोटा से 300 बसें भेजकर छात्रों को वापस लाने का काम शुरू किया था. इसके अलावा योगी सरकार अब हजारों मजदूरों को भी उत्तर प्रदेश ला रही है. जबकि केंद्र की तरफ से एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए ऐसे कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए हैं.

सोरेन बोले- क्या केंद्र ने दी है मौन सहमति?

झारखंड के सीएम सोरेन ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा, ऐसे राज्यों से केंद्र सरकार ने किसी भी तरह का कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है, वहीं इन राज्यों पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई किए जाने का भी कोई मामला सामने नहीं आया है.

मुख्यमंत्री ने आगे कहा,

“जनमानस में ऐसी धारणा बन रही है कि इन राज्यों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय की मौन सहमति प्राप्त है. बच्चों के अभिभावक, मजदूरों के रिश्तेदारों, जनप्रतिनिधि और अन्य बुद्धिजीवियों की तरफ से अन्य राज्यों की तरह छात्रों और मजदूरों की वापसी को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है.”
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री-झारखंड

सोरेन ने प्रधानमंत्री से अपील करते हुए कहा कि गृहमंत्रालय की तरफ से राज्यों में फंसे छात्रों और मजदूरों को वापस लाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए जाएं. जिसके बाद कानूनी तौर पर उनकी राज्य में वापसी हो सके.

बता दें कि बिहार से सीएम भी लगातार अन्य राज्यों से लोगों की आवाजाही का विरोध कर रहे हैं. सोरेन की ही तरह नीतीश ने भी अब कहा है कि जब तक गृहमंत्रालय की तरफ से कोई नियम नहीं बन जाते हैं, तब तक छात्रों और मजदूरों को वापस नहीं लाया जाएगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT