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राजस्थान,MP के किसानों में टिड्डियों का खौफ,कितना बड़ा है ये खतरा?

राजस्थान और मध्य प्रदेश में टिड्डियों का प्रकोप जारी है. FAO ने हाल ही में भारत के लिए चेतावनी भी जारी की थी.

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राजस्थान और मध्य प्रदेश में टिड्डियों का प्रकोप जारी है.
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राजस्थान और मध्य प्रदेश में टिड्डियों का प्रकोप जारी है.
(फोटोः FAO)

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राजस्थान और मध्य प्रदेश में टिड्डियों का प्रकोप जारी है. फूड एंड एग्रीक्लचर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) ने हाल ही में भारत के लिए चेतावनी भी जारी की थी.

“कंट्रोल ऑपरेशन्स के बाद भी हाल ही में हुई बारिश ने कई देशों में कीड़ों के लिए उपयुक्त माहौल बना दिया है. अभी उम्र में छोटे कीड़े जून तक भयानक एडल्ट बन जाएंगे और ये वही समय होगा जब किसान अपनी फसल काटेंगे.”
FAO
FAO के मुताबिक, एक सामान्य टिड्डा झुंड की विनाशकारी शक्ति का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि, एक वर्ग किलोमीटर का झुंड, जिसमें लगभग 40 मिलियन टिड्डे होते हैं, एक दिन में 35,000 लोगों के बराबर खाना खाते है. यह मानते हुए कि प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 2.3 किलो भोजन खाता है.

एक और खास बात है कि टिड्डियों का ये झुंझ कभी भी इंसान या जानवरों को निशाना नहीं बनाता. अब तक ऐसे भी सबूत नहीं मिले हैं कि टिड्डियों की वजह से इंसानों में कोई संक्रमण हुआ हो.

ये वीडियो देखिए, 24 मई की देर रात जयपुर के ग्रामीण इलाके में टिड्डियों ने दस्तक दी और आज सुबह जयपुर शहर के कई इलाकों से गुजरती हुई दौसा की तरफ निकल गई.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, टिड्डियों के चलते केवल राजस्थान में अबतक कम से कम 5,00,000 हेक्टेयर भूमि पर फैली फसलें नष्ट हो गई है. साल 2019-2020 में गुजरात और राजस्थान में 3.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर फैली फसलें नष्ट हो चूंकि है.

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मध्य प्रदेश में भी मचा रहे कहर

मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में भी राजस्थान से होते हुए टिड्डी झुंडों ने अपनी अपनी आमद दर्ज करा दी है, जिससे फसलों के नुकसान की आशंका बढ़ गई है. वहीं प्रशासन मुनादी कराकर किसानों को आपदा के प्रकोप से निपटने के लिए सर्तक किया जा रहा है. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, टिड्डी के झुंड राजस्थान से होता हुआ नीमच, मंदसौर, आगर मालवा व झाबुआ पहुंच रहा है. टिड्डियों का कारवां कई किलोमीटर लंबा है.

(फोटोः FAO)

ये खेतों में उतरकर फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है. आगर मालवा जिले के कृषि विभाग के उपसंचालक आर.पी. कनेरिया ने कहा है कि टिड्डी के झुंड लगभग 15 किलोमीटर तक छाए हुए हैं, इसलिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे सतर्क रहें. जैसे ही टिड्डियों का कोई झुंड पास आता है तो वे शोर करें, झुंड भाग जाएगा.

जिन जिलों में टिड्डियों के झुंड के आने का खतरा है, वहां के किसानों को मुनादी कराने के साथ सतर्क किया जा रहा है. उनसे कहा गया है कि टिड्डियों को भगाने के लिए ध्वनि-विस्तार यंत्र, जैसे- मांदल, ढोलक, डीजे, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर आवाज करना, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि स्थानीय स्तर पर तैयार रखें, सामूहिक प्रयास से ध्वनि-विस्तारक यंत्र का उपयोग करें. ऐसा करने से टिड्डी झुंड नीचे नहीं आकर, फसल या वनस्पति पर न बैठते हुए आगे चला जाएगा.

किस वक्त होता है टिड्डियों का आना शुरू

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि टिड्डियों का आगमन शाम को लगभग छह से आठ बजे के बीच होता है तथा सुबह साढ़े सात बजे तक दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करने लगता है. ऐसी स्थिति में टिड्डी का प्रकोप होने पर तत्काल बचाव के लिए उसी रात की सुबह तीन बजे से लेकर साढ़े सात बजे तक रासायनिक दवाओं का छिड़काव कर टिड्डी झुंड पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

टिड्डी से निपटने ब्रिटेन से मंगाई जा रहीं नई मशीनें : तोमर

13 मई को आई रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस समस्या से निपटने के लिए ब्रिटेन से नई मशीनें भी मंगाई जा रही हैं, जिनका आर्डर दिया जा चुका है. ये जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दी.

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