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पीएम मोदी (PM Modi) ने अपनी स्पीच में घुसपैठिए शब्द का इस्तेमाल किसके लिए किया. क्या मुसलमानों के लिए. अगर हां तो फिर क्या अबुल कलाम आजाद, अशफाकुल्ला खान, एपीजे कलाम घुसपैठिए थे?
क्या इसरो के पहले सूर्य मिशन की वैज्ञानिक शाजी निगार, पूर्व डिप्लोमेट सैयद अकबरुद्दीन, मोहम्मद शमी, सलमान खान, मुख्तार अब्बास नकवी और करोड़ों मुसलमान भारत में घुसपैठिए हैं?
पीएम मोदी कहा कि, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे. घुसपैठिए को बांटेंगे...
पीएम मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस गुस्से में है और कह रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को पीएम मोदी ने तोड़मरोड़ कर पेश किया है.. मनमोहन सिंह ने क्या कहा था ये आपको आगे बताएंगे, लेकिन यहां उससे भी बड़ा सवाल है कि अपने देश के लोगों को घुसपैठिए क्यों बोला गया?
एक और सवाल ज्यादा बच्चों को लेकर है.. क्या मुसलमानों के ज्यादा बच्चे होते हैं? इसकी सच्चाई भी आगे बताएंगे.. लेकिन उससे पहले सवाल, किसी को बच्चे नहीं होते हैं और किसी को ज्यादा बच्चे होते हैं, क्या इसके आधार पर उस इंसान, उस समाज को नीचा दिखाना चाहिए? इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
प्रधानमंत्री ने 21अप्रैल 2024 को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी सभा में कहा, "पहले जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था देश के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ? ये संपत्ति इकट्ठा करके किसको बांटेंगे ? जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे. ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बांट देंगे. और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे."
जबकि 9 दिसंबर 2006 को प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल यानी राष्ट्रीय विकास परिषद को संबोधित करते हुए जो अंग्रेजी में भाषण दिया था, उसका हिंदी अनुवाद है-
हालांकि 18 साल पहले भी मनमोहन सिंह के बयान के ठीक बाद विवाद शुरू हो गया था. तब ही अगले दिन 10 दिसंबर 2006 को प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया था. और कहा था कि प्रधानमंत्री के बयान का जानबूझकर और शरारतपूर्ण ढंग से गलत व्याख्या की गई है. आगे उस स्पष्टीकरण में ये भी लिखा है कि प्रधानमंत्री का "संसाधनों पर पहला दावा" का संदर्भ एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं और बच्चों और अल्पसंख्यकों के उत्थान के कार्यक्रम को लेकर कहा गया था.
भारत की प्रजनन संख्या 1950 में लगभग 6.2 थी, जो गिरकर 2021 में 2 से कम हो गई है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में मुस्लिम प्रजनन दर यानी फर्टिलिटी रेट में गिरावट देखी गई: एक महिला के बच्चों की औसत संख्या - 2015-16 में 2.6 से 2019-21 में 2.4 हो गई है. जबकि 2005-06 में ये 3.4 थी. मुसलमानों में एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच 9.9% की सबसे तेज गिरावट देखी गई है. हालांकि यह अन्य समुदायों की तुलना में अधिक है.
यहां दो बात समझिए कि आबादी का झूठा प्रोपेगंडा चलाया जा रहा है.. दूसरा जो कि इंसानियत के आधार पर है.. अगर किसी को ज्यादा बच्चा है तो उसके खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है.. आप बच्चे पैदा होने और न होने के आधार किसी को नीचा कैसे दिखा सकते हैं? चलिए एक पल के लिए ज्यादा बच्चे वाला झूठ मान भी लें तो इस देश में लाखों हिंदू परिवार हैं जहां दो से ज्यादा बच्चे हैं, तो क्या उनके खिलाफ समाज में नफरत पैदा कराना सही है, क्या उन्हें निशाना बनाना सही होगा? हरगिज नहीं..
चुनाव आयोग की आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के मुताबिक कोई राजनीतिक दल या कैंडिडेट किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा करा सकती है या अलग-अलग जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषा बोलने वालों के बीच तनाव पैदा कर सकती है. तो क्या पीएम मोदी का अपने भाषण में मुसलमानों का जिक्र करना और फिर घुसपैठिया बोलना किस दायरे में आएगा?
मनमोहन सिंह ने क्या बोला, नहीं बोला उससे कहीं ज्यादा अहम है इस देश के लोगों में सबको एक बराबर समझना.. अमेरिका से लेकर यूके, मॉरिशियस, कनाडा में भारतीय मूल के लोग देश की राजनीति से लेकर बिजनेस में टॉप पर हैं, बाहर से आने वालों को भी गले लगाया जा रहा है फिर हम भारत में अपने ही लोगों को ऐसे शब्द कहकर, बांट क्यों रहे हैं.. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
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