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लोकसभा चुनाव: माधुरी दीक्षित को पुणे से लड़ाने की तैयारी में BJP

2014 में बीजेपी ने पुणे लोकसभा सीट कांग्रेस से छीन ली थी और पार्टी उम्मीदवार ने 3 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की

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बीजेपी 2019 के आम चुनाव में माधुरी दीक्षित को उम्मीदवार बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है
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बीजेपी 2019 के आम चुनाव में माधुरी दीक्षित को उम्मीदवार बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है
(फोटो: फेसबुक)

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बीजेपी 'धक धक गर्ल' माधुरी दीक्षित को लोकसभा चुनाव 2019 में पुणे सीट से मैदान में उतारने पर विचार कर रही है. पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस साल जून में अदाकारा से मुंबई स्थित उनके घर पर मुलाकात की थी. शाह उस समय पार्टी के ‘संपर्क फॉर समर्थन' कैंपेन के तहत मुंबई पहुंचे थे. शाह ने इस दौरान 'धक धक गर्ल' को नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराया था.

राज्य के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने गुरुवार को पीटीआई को बताया कि माधुरी का नाम पुणे लोकसभा सीट के लिए चुना गया है. उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी 2019 के आम चुनाव में माधुरी दीक्षित को उम्मीदवार बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. हमारा मानना है कि पुणे लोकसभा सीट उनके लिए बेहतर होगी.''

पार्टी कई लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करने की प्रक्रिया में है और दीक्षित का नाम पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुना गया है... इसके लिए उनके नाम पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है.
बीजेपी नेता

2014 में पुणे सीट हार गई थी BJP

51 साल की अदाकारा माधुरी ने ‘तेजाब', ‘हम आपके हैं कौन', ‘दिल तो पागल है', ‘साजन' और ‘देवदास' समेत कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है. साल 2014 में बीजेपी ने पुणे लोकसभा सीट कांग्रेस से छीन ली थी और पार्टी उम्मीदवार अनिल शिरोले ने तीन लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी.

माधुरी को चुनाव लड़ाने की योजना के बारे में बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘‘इस तरह के तरीके नरेंद्र मोदी ने गुजरात में तब अपनाए थे जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों में सभी उम्मीदवारों को बदल दिया और पार्टी को उस फैसले का लाभ मिला.''

उन्होंने कहा, ‘‘नए चेहरे लाए जाने से किसी के पास आलोचना के लिए कुछ नहीं था. इससे विपक्ष आश्चर्यचकित रह गया और बीजेपी ने ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर सत्ता कायम रखी.'' बीजेपी ने इसी तरह का सफल प्रयोग 2017 में दिल्ली के निकाय चुनावों में भी किया गया, जब सभी मौजूदा पार्षदों को टिकट देने से इनकार कर दिया गया. बीजेपी ने जीत हासिल की और नियंत्रण बरकरार रखा.

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