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सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा नामांकन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. पीएम मोदी की बड़ी समर्थक मधु किश्वर ने इस फैसले को पीएम की बड़ी गड़बड़ी बताया. उन्होंने कहा कि ये न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता की लक्ष्मण रेखा को लांघने जैसा है.
किश्नर ने याचिका में कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों को सरकार, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, एमपी और विधायकों के किसी पद पर नियुक्त करने से पहले पांच साल के कूलिंग-ऑफ पीरियड को लेकर आदेश पास किया जाना चाहिए.
एक ट्वीट में मधु किश्वर ने इस फैसले को पीएम मोदी की बड़ी गड़बड़ी बताया और नामांकन स्वीकार करने के लिए पूर्व चीफ जस्टिस की भी आलोचना की.
उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह की पिछली नियुक्तियां, जैसे कि 1983 में रिटायरमेंट के बाद जस्टिस बहरुल इस्लाम और पूर्व CJI रंगनाथ मिश्रा की राज्यसभा में नियुक्ति से 'आम जनता के बीच न्यायिक अखंडता को लेकर गलत तस्वीर' पैदा हो गई थी.
16 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया था. जस्टिस गोगोई नवंबर 2019 में ही भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर करीब 13 महीने के अपने कार्यकाल के बाद रिटायर हुए थे. सूत्रों के मुताबिक, पूर्व सीजेआई 19 मार्च को सुबह 11 बजे शपथ ले सकते हैं.
राज्यसभा के लिए नामित किए जाने के बाद से ही विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार और जस्टिस गोगोई को निशाने पर लिए हुए हैं और दोनों की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं.
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