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पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता ISI के लिए जासूसी की दोषी करार

पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संवेदनशील जानकारी साझा करने का दोषी पाया गया

क्विंट हिंदी
भारत
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दिल्ली के एक कोर्ट ने पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संवेदनशील जानकारी साझा करने का दोषी पाया
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दिल्ली के एक कोर्ट ने पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संवेदनशील जानकारी साझा करने का दोषी पाया
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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दिल्ली के एक कोर्ट ने पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संवेदनशील जानकारी साझा करने का दोषी पाया. इस्लामाबाद के भारतीय उच्चायोग में जब वो तैनात थी उस वक्त राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने का उनपर दोष है. एडिशनल सेशन जज सिद्धार्थ शर्मा ने माधुरी गुप्ता को ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट के कई प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया. 26/11 मुंबई हमलों के करीब 1.5 साल बाद साल 2010 में माधुरी गुप्ता की गिरफ्तारी दिल्ली में हुई थी.

शनिवार को सजा पर सुनवाई

कोर्ट माधुरी गुप्ता की सजा पर शनिवार को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि ‘आरोपी ने जो ईमेल भेजे वो बहुत ही संवेदनशील जानकारियां थी, जो दुश्मन राष्ट्र के लिए फायदेमंद हो सकती थीं. वे देश की विदेश नीति के लिए सामरिक तौर पर बेहद अहम थीं और उनकी गोपनीयता सबसे अहम थी.'' भारतीय उच्चायोग में सेकेण्ड सेक्रेटरी (प्रेस एंड इंफॉर्मेशन) रहीं गुप्ता को स ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट की धारा तीन और पांच के तहत दोषी ठहराया गया है.

तीन साल की सजा हो सकती है

इसमें अधिकतम तीन साल की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. माधुरी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने 22 अप्रैल, 2010 को पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने और आईएसआई के दो अधिकारियों मुबशर रजा राणा और जमशेद के संपर्क में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया था. माधुरी को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने कहा कि एक ईमेल में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की जल विद्युत परियोजनाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का वादा किया था. उसने कहा कि इससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता था. जज ने कहा, ‘‘ये देखा गया है कि आरोपी जानकारी उपलब्ध कराने में विफल रही लेकिन इस तरह की सूचना साझा करने की उनकी मंशा और शादी समारोह में हिस्सा लेने के झूठे बहाने पर उनका जम्मू जाना दुश्मन देश को मदद करने के उनके इरादे को दिखाता है.''

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पोस्टिंग के बारे में भी देती थी जानकारी

कोर्ट ने कहा, ‘‘वो रक्षा, विदेश मंत्रालय और भारतीय उच्चायोग में अधिकारियों की पोस्टिंग और उनके परिवार से जुड़ी जानकारियां भी उपलब्ध कराती थीं, जिससे उन अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों की जान को खतरा हो सकता था.''

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