ADVERTISEMENTREMOVE AD

कर्नाटक: इन 4 बेहद अहम किरदारों के बारे में जान लीजिए

राजनीतिक पार्टियां क्यों भरोसा करती हैं इन पर

Updated
भारत
4 min read
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कर्नाटक में सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में जो संघर्ष हुआ उसमें बीजेपी और कांग्रेस और सरकार की तरफ से 4 बड़े किरदारों ने बड़ी भूमिका निभाई.

कांग्रेस के लिए मोर्चा संभाला वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने. जबकि कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जेडीएस के लिए पैरवी की. येदियुरप्पा और बीजेपी का पक्ष रखा पूर्व अटार्नी जनरल और जाने माने वकील मुकुल रोहतगी ने. राज्यपाल और सरकार का पक्ष रखने मौजूद थे अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक: कौन हैं प्रोटेम स्पीकर केजी बोपैया, जिन पर मचा है हंगामा

आइए आपको इन चारों महारथी वकीलों के बारे में बताते हैं, उनकी क्या क्या खूबियां हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1. अभिषेक मनु सिंघवी (कांग्रेस के वकील)

सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के लिए मोर्चा संभाला सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील और कांग्रेस के सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने. सिंघवी सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील हैं. वो प्रवक्ता के तौर पर भी कांग्रेस का पक्ष रखते रहते हैं. संवैधानिक मामलों का उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है. यही वजह है कि सिर्फ 37 साल की उम्र में ही भारत के सबसे युवा एडिशनल सोलिसीटर जनरल बनने का रिकॉर्ड उनके नाम पर है.

गुरुवार को तड़के 2 बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने तमाम दलीलों के जरिए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कर्नाटक में किस तरह कांग्रेस-जेडीएस के साथ अन्याय हुआ है.

शुक्रवार को सुनवाई में फिर अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों का असर हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को शक्ति परीक्षण के लिए दिए गए 15 दिनों के वक्त को घटाकर 24 घंटे ही कर दिया. अब शनिवार 19 मई शाम चार बजे तक कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार के भविष्य का फैसला हो जाएगा.

राजनीतिक पार्टियां क्यों भरोसा करती हैं इन पर
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी 
फोटो: PTI
0

2. मुकुल रोहतगी (येदियुरप्पा और बीजेपी विधायकों के वकील)

रोहतगी कुछ दिनों पहले तक देश के अटार्नी जनरल थे, लेकिन उन्होंने सरकार के बजाए प्राइवेट प्रैक्टिस में लौटने का फैसला किया इसलिए पद छोड़ दिया.

रोहतगी ने बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार के पक्ष में दलील देकर साबित करने की कोशिश की कि कर्नाटक में जो हो रहा है वो पूरी तरह राजनीतिक मामला है. उनकी दलील थी कि राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी के येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाकर अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल किया है इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

राजनीतिक पार्टियां क्यों भरोसा करती हैं इन पर
मुकुल रोहतगी
(फोटो: PTI)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

3. के के वेणुगोपाल (अटॉर्नी जनरल) सरकार का पक्ष

भारत सरकार के सबसे बड़े कानूनी अधिकारी अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल उम्र में भी बहुत वरिष्ठ हैं. 87 साल के वेणुगोपाल की कानूनी समझ का सभी सम्मान करते हैं.

वेणुगोपाल ने सरकार और राज्यपाल की तरफ से पक्ष पेश किया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि कर्नाटक मामला पूरी तरह राजनीतिक है और देश की सबसे बड़ी अदालत में इसमें नहीं पड़ना चाहिए.

गुरुवार को जब रात 2 बजे सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक मामला सुनने का फैसला किया तो 87 साल के वेणुगोपाल को जगाया गया और कुछ ही देर में वो पूरी तरह अलर्ट और तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए.

लेकिन उन्होंने माना कि उनके 64 साल के करियर में ये पहली बार हुआ कि देश की सबसे बड़ी अदालत में रात दो बजे उन्हें किसी मामले में दलील के लिए पेश होना पड़ा है.

राजनीतिक पार्टियां क्यों भरोसा करती हैं इन पर
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल
(फोटो: ANI)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

4. कपिल सिब्बल (जेडीएस के वकील)

कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद, पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल इस मामले में जनता दल सेक्युलर की तरफ से दलील देने के लिए पेश हुए. कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कांग्रेस के पक्ष में दलीलें जहां पर छोड़ीं, सिब्बल ने वहां से दलीलें संभाली.

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों और संविधान के प्रावधानों के हवाले से तर्क दिया कि भले ही जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव के बाद हुआ है फिर भी संख्या में ज्यादा होने के नाते सरकार बनाने का पहला हक इसी गठबंधन का है.

राजनीतिक पार्टियां क्यों भरोसा करती हैं इन पर
सीनियर वकील कपिल सिब्बल 
फाइल फोटो
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हालांकि इस मसले पर वरिष्ठतम वकील राम जेठमलानी ने भी राज्यपाल के फैसले के खिलाफ अर्जी लगा दी. जेठमलानी कांग्रेस, जेडीएस या बीजेपी की तरफ से नहीं पेश हुए. लेकिन वो व्यक्तिगत हैसियत से पहुंचे और उन्होंने येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए बुलाने के कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले को कानूनी और संवैधानिक तौर पर गलत ठहराते हुए अवैध ठहराने की मांग की.

इन सभी वकीलों ने अब अपना काम कर दिया है, अब सारा फोकस कर्नाटक विधानसभा पर शिफ्ट हो गया है जहां शनिवार को शाम तक फैसला हो जाएगा कि येदियुरप्पा सरकार रहेगी या जाएगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×