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कोरोना से जंग जारी, कैबिनेट विस्तार की भी तैयारी- शिवराज Exclusive

कोरोना काल की चुनौतियों से निपटने के लिए कितनी तैयार है मध्य प्रदेश की सरकार

संजय पुगलिया
भारत
Updated:
क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया और  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
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क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
(फोटो ग्राफिक्स : क्विंट हिंदी)

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देशभर के सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों वाले टॉप 5 राज्यों में मध्य प्रदेश भी शामिल है. देश में जब कोरोना वायरस दस्तक दे रहा था तब मध्य प्रदेश में सत्ता में फेरबदल चल रहा था. कांग्रेस में फूट की वजह से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को शामिल कराकर अपनी सरकार बना ली और एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान.

अब जब से शिवराज ने कुर्सी संभाली तब से ही कोरोना से लड़ाई ही राज्य का मुख्य मुद्दा है. देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कारोबार, काम धंधे चौपट हो रहे हैं. किसानों की उपज पर संकट के काले बादल मंडरा रहे हैं. इन सब चुनौतियों से निपटने के लिए कितनी तैयार है मध्य प्रदेश सरकार? क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने ऐसे ही मुद्दों पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से खास बातचीत की.

महामारी को रोकना तो प्राथमिकता है ही, लेकिन अब आर्थिक गतिविधियां शुरू करना भी उतना ही अहम है. कारोबार से लेकर किसानों तक... आप ये काम कैसे कर रहे हैं?

हम कोरोना और आर्थिक संकट पर एक साथ काम कर रहे हैं. प्रदेश और बाहर के उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों से हमने बातचीत की है. अर्थव्यवस्था को लेकर हमने एक टीम का गठन किया है. इसके अलावा सरकार को सुझाव देने के लिए उद्योगपतियोंकी एक समिति का गठन किया है, जिसमें रवि झुनझुनवाला, राजीन्दर गुप्ता, मीचिहिरो सुजुकी, संदीप कोचर जैसे नाम शामिल हैं. रेवेन्यू और इकनॉमी का जो नुकसान हुआ है, उससे उबरने के लिए हमें जरूरी कदम उठाने शुरू भी कर दिए हैं.  ग्रीन जोन में हमने शर्तों के साथ कारोबारको इजाजत दी है.

जरूरी सावधानी के साथ हमने किसानों को भी फसल कटाई की मंजूरी दी है. किसानों की उपज का एक-एक दाना सरकार उचित समर्थन मूल्य पर खरीदेगी.  किसानों के लिए 2,990 करोड़ रुपये की फसल बीमा योजना और जीरो ब्याज फसल ऋण योजना लेकर आएहैं. कोरोना संकट के बावजूद एमपी में 40 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की रिकॉर्ड खरीदी हुई है.इसके एवज में 3,171 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.

मजदूरों को रोजगार मिले इसके लिए मनरेगा के तहत  22,070 ग्राम पंचायतों में करीब सवा लाख काम शुरू हो गए हैं. इनमें 11 लाख से ज्यादा मजदूरों को रोज काम मिल रहा है.

राज्य के कुल 370 बड़े उद्योगों में से 173 फिलहाल में चालू हैं, जिनमें से 40 फार्मास्युटिकल, 34 खाद्य प्रसंस्करण, 15 उपभोक्ता वस्तुएं, 25 पैकेजिंग और 59 अन्य हैं. इसी तरह राज्य में 22,307 लघु इकाइयां चालू हैं. इन इकाइयोंमें 30 हजार मजदूर काम कर र हे हैं. उद्योगों को उनकी क्षमता का 40 से 50 प्रतिशत उत्पादन शुरू करने की अनुमति है. उनसे कहा गया है कि वे अपने कैंपस में ही मजदूरों के रहने का इंतजाम करें और महिला ,छोटे बच्चों वाली महिलाओं को काम पर ना बुलाएं. बाकी मजदूरों को भीस्क्रीनिंग के बाद ही काम पर रखें.

पूरे राज्य में कोरोना के नए मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. कोरोना की सबसे बड़ी तकलीफ इंदौर ने उठाई. हेल्थ और गवर्नेंस के लिए इंदौर के क्या सबक हैं?

ये दुर्भाग्य है लेकिन अब इंदौर इससे उबर रहा है. स्थिति तेजी से ठीक हो रही है. तत्कालीन कमलनाथ सरकार सतर्क और सचेत होती, तो आज इंदौर इस स्थिति में नहीं पहुंचता. जानकारी के बावजूद कमल नाथ सरकार ने इंदौर में कोरोना की दस्तकको महत्व नहीं दिया. पूरा सरकारी तंत्र इंदौर में ही सक्रिय था लेकिन कोरोना की रोकथाम के लिए नहीं, आईफा के आयोजन के लिए.

CAA के धरने में तमाम लोग बाहर से आते रहे, कोरोना फैलाते रहे. कांग्रेस की सरकार उन्हें समर्थन देती रही. लेकिन भगवान की कृपा है ,आज मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. इंदौर की साख और स्वास्थ्य दोनों लौटाने के लिए सरकार,संगठन, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से प्रेरित संगठन जुटे हुए हैं. मरीजों की संख्या कम करने के लिए सरकार और एनजीओ जुटे हुए हैं. लगभग 362 मरीज ठीक हो चुके हैं.

कोरोना ने बताया कि हमारे पब्लिक हेल्थ इंफ्रा स्ट्रक्चर की हालत कितनी खराब है. मध्यप्रदेश इस संकट से लड़ने में कहां खड़ा है?

मध्य प्रदेश की चिकित्सा सेवाएं पहले से अधिक मजबूत और बेहतर हुई हैं. प्रदेश की 13 से अधिक लैब्स में कोविड -19  टेस्ट किया जा रहा है. हमने मेडिकल उपकरणों और दवा की कमी न हो, इसके इंतजाम किये हैं. एमपी में लगातार टेस्ट की सुविधा बढ़ाई जारही है. जितने टेस्ट हुए हैं उनमें 30 हजार नेगेटिव रिपोर्ट आई हैं.

अभी राज्य में 34 हजार से अधिक आइसोलेशन बेड्स, 873 से अधिक ICU बेड्स और 558 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. कुल 36,000 से अधिक बेड्स मौजूद हैं. प्रदेश में कई प्रकार की टीम और यूनिट्स भी बनाई गई हैं. प्रदेशके कुल 856 कन्टेनमेंट एरिया में 3000 सर्वे टीम, 1200 से अधिक मोबाइल मेडिकल यूनिट और 51 रैपिड रिस्पॉन्स टीम काम कर रही हैं. प्रदेश में प्रतिदिन 10-12,000 PPE किट बनाए जा रहे हैं.

जाहिर है अभी आपका फोकस तत्काल रिलीफ पर है, लेकिन राज्य की इकोनॉमी को दुबारा पटरी पर लाने के लिए आपकी बड़ी रणनीति क्या होगी?

जैसा कि मैंने बताया इंडस्ट्री को धीरे-धीरे काम शुरू करने इजाजत दी गई है. साथ ही किसानों को भी मदद दी जा रही है. आम आदमी राहत देने की भी कोशिश हो रही है. केंद्र सरकार से आई मदद को जन-धन खातों में डाला जा रहा है.सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना आदि के जरिए राहत पहुंचाई गई है. हमने संबल योजना को भी फिर शुरू किया है, जिसमें प्रदेश के गरीब परिवारों को मुफ्त शिक्षा, घर, बिजली-पानी जैसे बुनियादी सुविधाओं के साथ ही कई अन्य चीजों का प्रावधान हमने किया है.

राज्य सरकार के पास वित्तीय संसाधनों की कमी है. उसके लिए आप क्या उपाय कर रहे हैं?

इस पर विशेषज्ञों, नेताओं और अफसरों से हमारी बातचीत हो रही है. जल्द ही जो भी निर्णय लिए जाएंगे उनके बारे में आपको बताया जाएगा.

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राज्य के मजदूरों को अपने घर आने में बड़ी दिक्कत हो रही है. आप उनको वापस लाने के लिए क्या कर रहे है?

हमने दूसरे राज्यों में फंसे राज्यों में मजदूरों को लाने के इंतजाम किए हैं. अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की, ट्रेन चलाने का अनुरोध किया. नासिक से मजदूरों को लेकर भोपाल ट्रेन आ चुकी है. अब तक 64 हजार मजदूरलौट चुके हैं. दुखद है कि ऐसे में भी कांग्रेस आरोप हमपर आरोप लगा रही है. संकट के समय में भी भ्रम की राजनीति की जा रही है

आप कोरोना संकट के बीच सरकार में लौटे. तब कांग्रेस सरकार महामारी का मोर्चा संभाल रही थी.  क्या अभी भी आप अकेले ही पूरा काम कर रहे हैं?

मेरा पहला काम मध्य प्रदेश के जन-जन की स्वास्थ्य सुरक्षा है. शपथ ग्रहण के बाद से ही मैं लगातार इस संकट से निपटने में लगा हूं, ताकि मध्य प्रदेश जल्द से जल्द इस संकट से बाहर निकले और फिर से तेज गति से सामान्य हालत की ओरलौट सके.

पहले की सरकार इस संकट से निपटने में नाकाम रही. पूर्व मुख्यमंत्री ने समय रहते सही उपाय नहीं किए और अब वह हम पर आरोप लगा रहे हैं. उन्हें ऐसे संकट के समय आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से ऊपर उठना चाहिए. वो खुद संकट से अनजानबने रहे और आपस में लड़ते रहे

ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में आ गए. उनका आगे क्या रोल रहने वाला है?

ज्योतिरादित्य सिंधिया जी एक तेज तर्रार, ऊर्जावान और लोकप्रिय नेता हैं. कांग्रेस पार्टी की समस्याओं के कारण सिंधिया और जो बाकी विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं, वे अब इस परिवार के सदस्य हैं. परिवार के सभी सदस्योंके साथ मिल-बैठकर फैसले होते हैं. उन सभी विधायकों ने कमल नाथ सरकार के अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार से तंग आकर अपने मंत्री पद और विधायकी का बलिदान किया है. यह मामूली बात नहीं है. बीजेपी परिवार उनके इस बलिदान के महत्व को समझता है.

आपका पूरा मंत्रिमंडल कब बनेगा?

कैबिनेट विस्तार को लेकर काम जारी है. पार्टी के नेताओं से बात हो रही है.  जो भी फैसला होगा आपको जरूर बताएंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 06 May 2020,05:17 PM IST

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