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सियासी गलियारे में ये चर्चा है कि कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए बीजेपी ने 'ऑपरेशन कमल' चलाया, लेकिन मध्य प्रदेश में बीजेपी का वही दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है. दरअसल, बीजेपी के दो विधायकों ने बुधवार को मध्य प्रदेश क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट बिल पर अपनी पार्टी के खिलाफ जाकर कमलनाथ सरकार के पक्ष में मतदान किया. ये खबर ऐसी थी, जिसने बीजेपी के खेमे में ही खलबली मच दी है.
लेकिन ये मामला यहीं रुकता नहीं दिख रहा है. अब कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि बीजेपी के चार और विधायक उसके संपर्क में हैं.
इस मामले के बाद बीजेपी में भोपाल से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, संगठन महामंत्री सुहास भगत ने भी बैठकें कीं. साथ ही मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो बीजेपी की राष्ट्रीय टीम ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है. साथ ही इस बात पर भी माथापच्ची चल रही है कि कैसे इन दो विधायकों ने बगावत की और किसी को भनक नहीं लगी. फिलहाल बीजेपी ने अपने दोनों बागी विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं की है.
मध्य प्रदेश नदी न्यास के अध्यक्ष नाम देव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा ने दावा किया कि बीजेपी के चार विधायक उनके संपर्क में हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ जब कहेंगे, इन विधायकों को साथ लेकर वह उनके सामने हाजिर हो जाएंगे. वहीं मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया:
इन सबके बीच कांग्रेस के सीनियर लीडर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने त्रिपाठी और कोल का स्वागत किया और इसे उनकी ‘घर वापसी’ करार दिया. सिंधिया ने अपने ट्वीट में कहा:
ब्यौहारी से बीजेपी विधायक शरद कोल और मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने पार्टी के खिलाफ बगावत का ऐलान किया है. नारायण त्रिपाठी पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. 2013 में वो कांग्रेस का टिकट हासिल करने में कामयाब रहे थे और बीजेपी के रमेश पांडेय बम बम महाराज को हराया था. इससे पहले वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2003 के विधानसभा चुनाव जीते थे.
कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार गिरने के ठीक अगले ही दिन बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने कमलनाथ सरकार गिराने के संकेत दिए थे. भार्गव ने कहा था कि उन्हें सिर्फ ऊपर वालों के आदेश का इंतजार है. मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ को उन्होंने कहा था:
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी नेता गोपाल भार्गव के इस बयान का जवाब देते हुए कहा था, 'आपके ऊपर वाले नंबर एक और नंबर दो समझदार हैं. इसलिए आदेश नहीं दे रहे हैं. आप चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं.'
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों की जरूरत होती है. कांग्रेस के पास अपने 114 विधायक हैं और उसे बहुजन समाज पार्टी के 1, समाजवादी पार्टी के 1 और 4 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है. वहीं बीजेपी के पास 109 विधायक हैं.
मतलब अगर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 7 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में कर्नाटक का हाल देखकर ये कहना मुश्किल है कि कौन, कब, किस पार्टी में चला जाए.
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