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कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'आरोग्य सेतु' ऐप को प्राइवेसी के लिए खतरा बताने के लगभग एक हफ्ते बाद मध्य प्रदेश सरकार के ऐप ने हजारों लोगों को डेटा एक्सपोज कर दिया है. COVID-19 संक्रमित मरीजों को ट्रैक करने के लिए बनाया गया एमपी सरकार के ऐप 'सार्थक' ने करीब 5500 लोगों का डेटा एक्सपोज कर दिया.
लीक हुए डेटा में लोगों की रियल टाइम लोकेशन और निजी जानकारी शामिल है. फ्रेंच एथिकल हैकर इलियट एंडरसन के 10 मई को इसका खुलासा करने के बाद ऐप को हटा लिया गया.
एंडरसन ने ट्वीट किया, "भारत में मध्य प्रदेश राज्य ने एक COVID-19 डैशबोर्ड बनाया है, जिसमें क्वॉरंटीन किए गए लोगों, उनकी डिवाइस आईडी, नाम, ऑपरेटिंग सिस्टम वर्जन, ऐप वर्जन कोड, उनकी मौजूदा और ऑफिस लोकेशन के GPS कोऑर्डिनटेस हैं."
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि COVID-19 संक्रमित या क्वॉरंटीन किए गए लोगों की पहचान पब्लिक नहीं होनी चाहिए. हैकर इलियट एंडरसन ने कुछ दिन पहले 'आरोग्य सेतु' ऐप में भी सुरक्षा की दिक्कत बताई थी.
‘सार्थक’ और ‘आरोग्य सेतु' को इसलिए बनाया गया था ताकि लोग पता कर सकें कि वो COVID-19 के संक्रमण के खतरे में हैं या नहीं.
MAP-IT के सीईओ नन्द कुमाराम ने इस बात की पुष्टि की है.
MAP-IT मध्य प्रदेश सरकार के साइंस और टेक्नोलॉजी विभाग का हिस्सा है.
कुमाराम ने कहा, "सार्थक ऐप हमें COVID-19 मैनेजमेंट और मरीजों को ट्रैक करने में मदद कर रहा है. ऐप में स्टोर की गई जानकारी कॉन्फिडेंशियल है और पब्लिक के लिए नहीं है. फिर भी हम जांच कर रहे हैं कि जो नाम पब्लिक हुए हैं, वो असल हैं या ऐप में स्टोर नामों में से हैं."
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्य प्रदेश के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट एसआर आजाद ने कहा, "मरीजों की जानकारी आकलन और फॉलोअप के लिए है, न कि लोगों के बीच डर फैलाने के लिए. इस मामले की विस्तृत जांच होनी चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए."
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